आज का इतिहास: 13 जून – पेंटागन पेपर्स (Pentagon Papers) का प्रकाशन

प्रेरणा द्विवेदी
Pentagon Papers

13 जून, 1971 का दिन अमेरिकी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इस दिन, न्यूयॉर्क टाइम्स ने “पेंटागन पेपर्स” (Pentagon Papers) नामक लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित करनी शुरू की। ये लेख अमेरिकी सरकार के इंडोचाइना (वर्तमान वियतनाम, लाओस, और कंबोडिया) में भूमिका पर आधारित थे, जो द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर मई 1968 तक की अवधि को कवर करते थे। पेंटागन पेपर्स का प्रकाशन उस समय के लिए बेहद संवेदनशील और विवादास्पद था, और इसने वियतनाम युद्ध के प्रति बढ़ते विरोध को और भी प्रबल कर दिया।

पेंटागन पेपर्स(Pentagon Papers): पृष्ठभूमि

पेंटागन पेपर्स (Pentagon Papers)आधिकारिक रूप से “यूनाइटेड स्टेट्स-वियतनाम रिलेशंस, 1945–1967: ए स्टडी प्रिपेयर्ड बाय द डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस” के नाम से जाने जाते हैं। यह 7,000 पृष्ठों का एक गोपनीय दस्तावेज था जिसे अमेरिकी रक्षा विभाग ने तैयार किया था। इस अध्ययन का उद्देश्य अमेरिकी सरकार की वियतनाम में नीतियों और कार्यवाहियों का विस्तृत विश्लेषण करना था।

डैनियल एल्सबर्ग और दस्तावेज़ों का खुलासा

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डैनियल एल्सबर्ग, एक सैन्य विश्लेषक, जिन्होंने रैंड कॉर्पोरेशन के लिए काम किया था, ने पेंटागन पेपर्स (Pentagon Papers)को सार्वजनिक करने का साहसिक निर्णय लिया। एल्सबर्ग ने इन दस्तावेजों को फोटोकॉपी किया और उन्हें न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकारों को सौंप दिया। उन्होंने महसूस किया कि अमेरिकी जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनकी सरकार वियतनाम युद्ध के संबंध में क्या कर रही है और कैसे उन्हें गुमराह कर रही है।

Pentagon Papers

न्यूयॉर्क टाइम्स का निर्णय और प्रकाशन

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एल्सबर्ग द्वारा दिए गए दस्तावेजों को प्राप्त करने के बाद, उनमें से महत्वपूर्ण जानकारी का विश्लेषण करना और उन्हें प्रकाशित करने का निर्णय लिया। 13 जून, 1971 को, अखबार ने पहली बार पेंटागन पेपर्स के हिस्सों को प्रकाशित किया। इस प्रकाशन ने न केवल अमेरिकी सरकार को चौंका दिया, बल्कि जनता के बीच भी हड़कंप मचा दिया।

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पेंटागन पेपर्स(Pentagon Papers) की प्रमुख जानकारियाँ

पेंटागन पेपर्स ने अमेरिकी सरकार की कई गलतियों और गलत बयानों का खुलासा किया। इनमें से कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. गोपनीयता और भ्रामक जानकारी: दस्तावेजों ने यह दिखाया कि अमेरिकी सरकार ने वियतनाम युद्ध के वास्तविक हालात और संभावनाओं को जानबूझकर जनता और कांग्रेस से छिपाया था।
  2. युद्ध का विस्तार: यह पता चला कि राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने सार्वजनिक रूप से युद्ध को सीमित रखने की बात कही थी, जबकि निजी तौर पर उन्होंने युद्ध को व्यापक बनाने की योजनाएं बनाई थीं।
  3. दक्षिण वियतनाम सरकार का समर्थन: अमेरिकी सरकार ने दक्षिण वियतनाम में एक भ्रष्ट और अलोकप्रिय सरकार का समर्थन किया था, जो जनता के समर्थन के बिना ही सत्ता में बनी रही।

सरकार की प्रतिक्रिया और कानूनी लड़ाई

पेंटागन पेपर्स (Pentagon Papers)के प्रकाशन के बाद, अमेरिकी सरकार ने तुरंत न्यूयॉर्क टाइम्स के खिलाफ एक अदालत में मुकदमा दायर किया। सरकार ने तर्क दिया कि इन दस्तावेजों का प्रकाशन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। न्यूयॉर्क टाइम्स के खिलाफ यह कानूनी लड़ाई उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गई।

उच्चतम न्यायालय का फैसला

न्यूयॉर्क टाइम्स बनाम यूनाइटेड स्टेट्स के इस ऐतिहासिक मामले में, अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने 30 जून, 1971 को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने न्यूयॉर्क टाइम्स के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा कि सरकार ने यह साबित करने में असफल रही है कि इन दस्तावेजों का प्रकाशन वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाएगा। यह निर्णय प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

वियतनाम युद्ध पर प्रभाव

पेंटागन पेपर्स का प्रकाशन वियतनाम युद्ध के प्रति जनता के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सहायक रहा। इन दस्तावेजों ने दिखाया कि अमेरिकी सरकार ने जनता और कांग्रेस से सत्य छिपाने का प्रयास किया था, जिससे वियतनाम युद्ध के विरोध में वृद्धि हुई। इसने युद्ध विरोधी आंदोलन को और भी मजबूत किया और अंततः अमेरिकी नीतियों में बदलाव के लिए दबाव बढ़ाया।

पेंटागन पेपर्स के प्रमुख पात्र

डैनियल एल्सबर्ग

डैनियल एल्सबर्ग इस पूरे प्रकरण के नायक थे। उनका साहसिक निर्णय और अमेरिकी जनता के प्रति उनकी वफादारी ने उन्हें एक विवादास्पद लेकिन महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बना दिया। उन्होंने अपने कार्यों के लिए गंभीर कानूनी परिणामों का सामना किया, लेकिन अंततः उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।

न्यूयॉर्क टाइम्स

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने साहसिक पत्रकारिता से इतिहास रच दिया। इसने साबित कर दिया कि प्रेस की स्वतंत्रता एक लोकतांत्रिक समाज का महत्वपूर्ण स्तंभ है। अखबार की संपादकीय टीम ने भारी दबाव और संभावित कानूनी परिणामों के बावजूद सच्चाई को उजागर करने का निर्णय लिया।

पेंटागन पेपर्स का आधुनिक संदर्भ

पेंटागन पेपर्स का मामला आज भी प्रासंगिक है। यह हमें याद दिलाता है कि सत्ता में बैठे लोग जनता से सत्य छिपा सकते हैं, और स्वतंत्र प्रेस का महत्व कितना महत्वपूर्ण है। यह घटना पत्रकारिता की स्वतंत्रता, सरकारी पारदर्शिता, और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में खड़ी है।

13 जून, 1971 को न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा पेंटागन पेपर्स का प्रकाशन अमेरिकी इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने न केवल वियतनाम युद्ध के प्रति जनता के दृष्टिकोण को बदल दिया, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और सरकार की पारदर्शिता के महत्व को भी रेखांकित किया। डैनियल एल्सबर्ग का साहसिक निर्णय और न्यूयॉर्क टाइम्स की निडर पत्रकारिता ने इस दिन को इतिहास में अमर कर दिया।

इस दिन ने यह साबित कर दिया कि सच्चाई की शक्ति हमेशा किसी भी अन्य शक्ति से बड़ी होती है। पेंटागन पेपर्स का प्रकाशन हमें यह याद दिलाता है कि लोकतंत्र में सत्य का महत्व सर्वोपरि है, और जनता का यह अधिकार है कि वह अपने सरकार की नीतियों और कार्यों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सके।

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