नई दिल्ली: टेस्ला और स्पेसएक्स के प्रमुख एलन मस्क ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। उनका मानना है कि इन मशीनों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है, जिससे चुनाव परिणामों की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं। मस्क की यह टिप्पणी दुनिया भर में ईवीएम की सुरक्षा को लेकर बढ़ती बहस के बीच आई है। प्यूर्टो रिको के हालिया प्राथमिक चुनावों में अनियमितताओं के आरोपों के बाद यह मुद्दा और गर्मा गया है।
एलन मस्क की टिप्पणी
मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खत्म कर देना चाहिए। मनुष्य या एआई इसे हैक कर सकते हैं। खतरा कम है, लेकिन ये होना ही बहुत अधिक है।” बता दें कि मस्क की यह टिप्पणी रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के ट्वीट के जवाब में आई थी, जिन्होंने प्यूर्टो रिको के प्राथमिक चुनावों में ईवीएम से जुड़ी अनियमितताओं का जिक्र किया था।
We should eliminate electronic voting machines. The risk of being hacked by humans or AI, while small, is still too high. https://t.co/PHzJsoXpLh
— Elon Musk (@elonmusk) June 15, 2024
प्यूर्टो रिको में अनियमितताएं
प्यूर्टो रिको में हाल ही में हुए विवादों के कारण ईवीएम सुरक्षा पर चर्चा तेज हो गई है। वहां के प्राथमिक चुनाव में ईवीएम से जुड़ी कई अनियमितताएं सामने आई थीं। हालांकि, एक पेपर ट्रेल ने चुनाव अधिकारियों को वोटों की गिनती की पहचान करने और उसे सही करने में मदद की। कैनेडी जूनियर ने चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए कागजी मतपत्रों की वापसी की वकालत की, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक वोट की गिनती हो और चुनाव सुरक्षित रहें।
भारत में सुरक्षित हैं ईवीएम
संयुक्त राज्य अमेरिका में ईवीएम को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, वहीं भारत में परिदृश्य पूरी तरह से अलग है। भारत तीसरी पीढ़ी के ईवीएम का उपयोग करता है, जिसे एम3 ईवीएम के रूप में जाना जाता है। ये मशीनें ‘सुरक्षा मोड’ में चली जाती हैं और अगर किसी भी तरह की छेड़छाड़ का पता चलता है तो वे निष्क्रिय हो जाती हैं।
Read More: RBI ने लंदन में रचा इतिहास: जीता ‘रिस्क मैनेजर ऑफ द ईयर अवार्ड 2024’
राजीव चंद्रशेखर का पोस्ट
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एलन मस्क के बयान पर आपत्ति जताते हुए इसे “एक बहुत बड़ा सामान्यीकरण” करार दिया, जिसमें कोई भी सच्चाई नहीं है। उन्होंने एक्स पर जवाब देते हुए लिखा, “यह एक बहुत बड़ा सामान्यीकरण करने जैसा है जिसका मकलब ये है कि कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता। यह बिल्कुल गलत है। कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ नहीं, वाई-फाई नहीं, इंटरनेट नहीं, कोई रास्ता नहीं है। फैक्टरी-प्रोग्राम किए गए नियंत्रक जिन्हें फिर से प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को ठीक से डिजाइन और बनाया जा सकता है, जैसा कि भारत ने किया है। हमें एक ट्यूटोरियल देने में खुशी होगी, एलन।”
This is a huge sweeping generalization statement that implies no one can build secure digital hardware. Wrong. @elonmusk 's view may apply to US n other places – where they use regular compute platforms to build Internet connected Voting machines.
But Indian EVMs are custom… https://t.co/GiaCqU1n7O
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@RajeevRC_X) June 16, 2024
IIT की मदद से बनी ईवीएम
तीन प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) के प्रोफेसरों की एक समर्पित टीम ने भारतीय ईवीएम के नवीनतम उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के चुनाव आयोग को ईवीएम पर एक प्रतिष्ठित तकनीकी विशेषज्ञ समिति का समर्थन प्राप्त है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उपकरण मजबूत और सुरक्षित हैं। इस साल सुप्रीम कोर्ट ने वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीनों से निकलने वाली पर्चियों के ज़रिए ईवीएम पर डाले गए वोटों के क्रॉस-वेरिफिकेशन के मुद्दे पर विचार किया। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 100 प्रतिशत क्रॉस-वेरिफिकेशन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच ऐच्छिक रूप से चयनित ईवीएम को सत्यापित करने की मौजूदा प्रथा को बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बता दें कि अदालत ने चुनाव आयोग को दो निर्देश जारी किए है। सबसे पहले, ईवीएम में चुनाव चिन्ह के लोड होने के बाद, चुनाव चिन्ह लोडिंग यूनिट को सील बंद करके उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षरित कंटेनर में सुरक्षित किया जाना चाहिए। दूसरा, इन सीलबंद कंटेनरों को ईवीएम के साथ, परिणामों की घोषणा के बाद कम से कम 45 दिनों तक स्टोररूम में रखा जाना चाहिए।
ईवीएम की सुरक्षा पर व्यापक चर्चा
ईवीएम की सुरक्षा और उनकी प्रामाणिकता को लेकर यह चर्चा महत्वपूर्ण है, खासकर जब पूरी दुनिया में चुनावों में धांधली के आरोप लगाए जा रहे हैं। भारत ने अपने ईवीएम सिस्टम को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें, जो अब भारत के चुनावों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, कई सुधारों और उन्नयनों के माध्यम से अब तक की सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद मानी जाती हैं।
भारतीय ईवीएम की विशेषताएं
भारतीय ईवीएम में कई सुरक्षात्मक विशेषताएं हैं:
- कोई इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं: भारतीय ईवीएम को किसी भी प्रकार के बाहरी नेटवर्क से कनेक्ट नहीं किया जा सकता, जिससे हैकिंग का खतरा नहीं रहता।
- फैक्टरी-प्रोग्राम किए गए नियंत्रक: ईवीएम के नियंत्रक फैक्टरी में ही प्रोग्राम किए जाते हैं और इन्हें पुनः प्रोग्राम नहीं किया जा सकता।
- वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी): वीवीपीएटी सिस्टम के माध्यम से हर वोट का पेपर रिकॉर्ड बनता है, जिससे वोटों की गिनती में पारदर्शिता बनी रहती है।