नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली इन दिनों भीषण गर्मी का सामना कर रही है, जो हर साल नए रिकॉर्ड बना रही है। राजधानी का तापमान बीते एक दशक में औसत सात डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। वर्ष 2014 की मई में जहां तापमान 30-33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता था, वहीं मई 2024 में यह 40 डिग्री तक पहुंच गया है। मौसम विभाग ने जून के पहले सप्ताह तक तापमान में किसी भी तरह की राहत के आसार न होने की चेतावनी दी है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के एक शोध के अनुसार, दिल्ली में मई 2014 का औसत तापमान 30-33 डिग्री सेल्सियस के बीच था। कुछ ही इलाके थे, जहां का तापमान 33.1-34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता था। ये इलाके मुख्यतः उत्तरी और दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के बाहरी क्षेत्र थे। इसके विपरीत, 2022 में दिल्ली के अधिकतर इलाकों का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया था। केवल पूर्वी और मध्य दिल्ली के कुछ ही हिस्से 36-40 डिग्री सेल्सियस के बीच थे।
सेटेलाइट डाटा के आधार पर की गई मैपिंग से यह स्पष्ट हुआ कि दिल्ली के औसत तापमान में बढ़ोतरी की शुरुआत 1998 से हुई थी, लेकिन 2014 के बाद से इसमें तेजी आई। एक दशक में तापमान में सात डिग्री का अंतर आ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्म द्वीप स्थानीय मौसम पर सीधा असर डाल रहे हैं। गर्म इलाकों में अपेक्षाकृत बारिश कम होती है, जबकि हरियाली वाले इलाकों में अधिक। हरे-भरे क्षेत्र हवा की नमी को खींच लेते हैं, जबकि कंक्रीट वाले इलाकों की हवा पूरी तरह शुष्क रहती है।
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दिन में गर्म है ग्रामीण इलाके
नजफगढ़, मुंगेशपुर, और जाफरपुर जैसे बाहरी दिल्ली के इलाके दिन में अधिक तापमान रिकॉर्ड कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इन क्षेत्रों में फसलें कट चुकी हैं और तुलनात्मक रूप से हरियाली नहीं है। ये क्षेत्र सघन आबादी वाले और पथरीले भी हैं, जिससे तापमान अन्य इलाकों की तुलना में अधिक रहता है।
प्रमुख वजहें
बढ़ते तापमान की प्रमुख वजहें निर्माण स्थलों में बढ़ोतरी, घनी बसावट, वाहनों की संख्या में वृद्धि, और प्रदूषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि के साथ साथ जमीन के नजदीक ओजोन का स्तर बढ़ना हैं। 2003 में दिल्ली का 31.4 प्रतिशत क्षेत्र निर्मित था, जो 2022 में 38.2 प्रतिशत तक पहुंच गया। इससे बचने के लिए हरियाली बढ़ानी होगी और ऐसे पौधे लगाने होंगे जो दिल्ली की आबोहवा के अनुकूल हों। खेतिहर इलाकों में भी हरी-भरी फसलों को लगाया जाना चाहिए।
इस तरह गर्म द्वीप में तब्दील हुए शहर
शहरी गर्म द्वीप वे क्षेत्र होते हैं जहां का औसत सालाना तापमान अपने आसपास के क्षेत्रों से अधिक होता है। दिल्ली में संगम विहार, बदरपुर, जैतपुर, आईजीआई एयरपोर्ट, नजफगढ़, छतरपुर, मुंडका, जाफरपुर, मुंगेशपुर, नरेला, और शाहदरा जैसे इलाके इसी श्रेणी में आते हैं।
- इन गर्म द्वीपों की वृद्धि 2014 से शुरू हुई, जब उत्तरी दिल्ली के बवाना का तापमान सबसे अधिक था।
- 2016 में नजफगढ़, रोहिणी, राजौरी गार्डन, और नरेला समेत अन्य इलाके भी इसमें शामिल हो गए।
- 2018 में संगम विहार, बदरपुर, जैतपुर, पालम, और आईजीआई एयरपोर्ट भी गर्म द्वीपों में बदल गए।
- 2022 में जाफरपुर, छतरपुर, मुंगेशपुर, मुंडका, और शाहदरा का तापमान भी बढ़ गया।
- 2024 में लोधी रोड, रिज, पूसा, और राजघाट भी इस सूची में शामिल हो गए हैं।
बढ़ते तापमान का असर
बढ़ते तापमान का असर कई रूपों में देखा जा सकता है।
- इससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है और बिजली की मांग में इजाफा होता है।
- एयर कंडीशनर और फ्रिज के अधिक उपयोग से वायु प्रदूषण बढ़ता है।
- बच्चों और बुजुर्गों में दिल और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
- सुबह और शाम के समय का तापमान भी ज्यादा होता है, जिससे लोग अधिक प्रभावित होते हैं।
एक्सपर्ट्स की राय
- बढ़ती गर्मी से दिन और रात तथा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के तापमान में फर्क देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि जमीन के इस्तेमाल में बदलाव और अधिक कंक्रीट के निर्माण से सूर्य की किरणों को अधिक फैलाव नहीं मिल पाता, जिससे उस क्षेत्र में अधिक गर्मी होती है। तेजी से जलाशय भी कम या खत्म हो रहे हैं, जिससे गर्म द्वीप बढ़ रहे हैं और लोग पहले से अधिक गर्मी और उमस का सामना कर रहे हैं।……शरणजीत कौर, कार्यक्रम अधिकारी, सीएसई
- गर्म द्वीपों का सबसे बड़ा कारण जमीन के इस्तेमाल में बदलाव है। अधिक कंक्रीट के निर्माण से गर्मी बढ़ती है और जलाशयों की कमी से स्थिति और भी खराब हो जाती है। इससे लोगों को दिन और रात में अधिक गर्मी और उमस का सामना करना पड़ता है।……प्रसून सिंह, फेलो, टीईआरआई,