
नई दिल्ली। आज का दिन भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। 1 जुलाई 2024 से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून प्रभावी हो गए हैं। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने पुरानी भारतीय दंड संहिता, 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की जगह ले ली है। ये कानून हमारे न्यायिक तंत्र में तकनीकी क्रांति का प्रतीक हैं।
पिछले साल दिसंबर में संसद में पारित हुए इन कानूनों ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानूनों को अब इतिहास का हिस्सा बना दिया है। ये नए कानून हमारे जीवन में तकनीकी के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं और कानूनी प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने पर विशेष जोर दिया गया है।
नए कानूनों का महत्व और तकनीकी का योगदान
डिजिटल रिकॉर्ड्स का समावेश:
नए कानूनों में दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य और अन्य डिजिटल प्रमाणों को कानूनी वैधता दी गई है। इससे अदालतों में कागजों के अंबार से मुक्ति मिलेगी और प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और वीडियोग्राफी:
अब एफआईआर से लेकर केस डायरी, चार्जशीट और जजमेंट तक की पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो सकेगी। आरोपी की पेशी, गवाहों का परीक्षण और साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग सब कुछ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जा सकेगा। इसके साथ ही सर्च और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी को अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे निर्दोष नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा।
फॉरेंसिक साइंस का विस्तार:
फॉरेंसिक साइंस का अधिकतम उपयोग करने के उद्देश्य से, सात वर्ष या उससे अधिक सजा वाले अपराधों के क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम का दौरा अनिवार्य किया गया है। इसके माध्यम से पुलिस के पास वैज्ञानिक साक्ष्य होंगे, जिससे दोषियों के बरी होने की संभावना बहुत कम हो जाएगी।
मोबाइल एफएसएल:
दिल्ली में सफल प्रयोग के बाद, अब हर जिले में तीन मोबाइल फॉरेंसिक वैन उपलब्ध होंगी जो अपराध स्थल पर जाकर जांच करेंगी। इससे अपराध स्थल पर वैज्ञानिक साक्ष्य संग्रहण की प्रक्रिया तेज और अधिक प्रभावी हो जाएगी।
ई-एफआईआर का प्रावधान:
नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, पहली बार ई-एफआईआर की व्यवस्था लागू की गई है। अब अपराध कहीं भी हो, उसे किसी भी थाना क्षेत्र में दर्ज किया जा सकेगा और 15 दिनों के भीतर संबंधित थाने को भेजा जाएगा।
यौन उत्पीड़न मामलों में सुधार:
यौन हिंसा के मामलों में पीड़ित के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य कर दी गई है। पुलिस को 90 दिनों के भीतर शिकायत का स्टेटस देना होगा और उसके बाद हर 15 दिनों में फरियादी को सूचित करना होगा।
न्यायिक प्रक्रियाओं का समयबद्ध निष्पादन:
2027 से पहले देश की सभी अदालतों को कंप्यूटरीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है। नए कानूनों में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 90 दिनों की समयसीमा तय की गई है। अदालत आगे 90 दिनों की परमीशन भी दे सकेगी।
यह नया युग भारतीय न्याय प्रणाली को आधुनिक तकनीकों से लैस कर न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी, त्वरित और प्रभावी बनाएगा। अब हमें न्याय के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना होगा और न्याय प्रक्रिया अधिक सुगम और सुलभ हो जाएगी।
यह भी पढ़ें:
- Marathonbet, Онлайн Ставки на Спорт, Тотализатор пиппардом Самыми Высокими Коэффициентами
- Flirtymilfs Review UPDATED 2023 |
- Get started now and discover love with a rich lady
- Foggybet Recension » Nytt Casino Utan Licens + 100% Upp Till 100
- Cassino Online & Apostas Esportivas Web Site Oficial
- Cassino Online & Apostas Esportivas Web Site Oficial