कानपुर। यह कहानी विक्की कौशल की फिल्म ‘अश्वत्थामा’ के बंद होने से शुरू हुई, फिर टाइगर श्रॉफ की ‘स्क्रू ढीला’ बंद हुई। इसके बाद रणवीर सिंह की ‘राक्षस’ ने इस मुद्दे को और बढ़ा दिया। साउथ के अभिनेता नानी की दो फिल्मों के बंद होने से यह समस्या और गंभीर हो गई है। इन फिल्मों के बंद होने का मुख्य कारण है कि निर्माताओं को अपने सितारों पर भरोसा नहीं है कि वे मेकिंग बजट पर मुनाफा कमा सकेंगे।
सिनेमाघरों में लगातार असफल हो रही फिल्मों की स्थिति हिंदी, तेलुगु और हॉलीवुड सिनेमा में एक जैसी है। इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय सिनेमा के बड़े निर्माता एकजुट हो रहे हैं। ‘अमर उजाला’ ने सबसे पहले यह खबर दी थी कि रणवीर सिंह की ‘राक्षस’ के लुक और प्रोमो शूट के दौरान उनकी एजेंसी कलेक्टिव की टीम की उपस्थिति ने निर्देशक प्रशांत वर्मा के काम में बाधा पहुंचाई। टीम की अधिक संख्या और उनके ठहरने का खर्च फिल्म के निर्माता-निर्देशक के लिए समस्या बन गया। आपत्ति जताने पर रणवीर की टीम ने इसे अपने ‘ईगो’ से जोड़ लिया और फिल्म का निर्देशन नौसिखिया बताया। मामला इतना बढ़ गया कि फिल्म बंद करनी पड़ी।
मुंबई में चर्चा है कि फिल्म कलाकारों के स्टाफ को साथी कलाकारों से ज्यादा फीस मिल रही है। जनवरी में अभिनेता मुश्ताक खान ने कहा कि ‘वेलकम’ फिल्म में अक्षय कुमार के स्टाफ को उनकी फीस से ज्यादा पैसा मिलता था। सितारों के साथ चलने वाली ‘बरात’ पर ध्यान देने के बाद निर्माताओं ने गणना की तो पता चला कि हीरो के स्टाफ पर होने वाला खर्च इतना है कि उसमें एक छोटी फिल्म बन सकती है।
‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ के बाद आदित्य धर ने विक्की कौशल के साथ ‘अश्वत्थामा’ की योजना बनाई, लेकिन कई महीने के काम के बाद निर्माताओं को लगा कि मुख्य सितारों के बजाए अन्य चीजों पर अधिक खर्च हो रहा है, और फिल्म बंद कर दी गई। टाइगर श्रॉफ की ‘स्क्रू ढीला’ भी करण जौहर ने बजट की वजह से बंद की। उनकी अन्य फिल्में भी इसी कारण बंद हो गईं।
यह समस्या सिर्फ हिंदी सिनेमा तक सीमित नहीं है। साउथ के निर्माता डी वी वी दानैया ने एस एस राजामौली के साथ ‘आरआरआर’ बनाई, लेकिन बजट के कारण एक फिल्म बंद करनी पड़ी, जिसमें नानी हीरो थे। हिंदी सिनेमा की कुछ और फिल्में भी सितारों के स्टाफ पर खर्च के चलते अटकी हुई हैं। रणवीर सिंह की ‘डॉन 3’ अपने अनाउंसमेंट के नौ महीने बाद भी शुरू नहीं हो सकी है। फ्लॉप होती फिल्मों और ओटीटी प्लेटफार्म्स के हाथ खींच लेने से स्थिति और बिगड़ गई है।
हिंदी सिनेमा के निर्माता अब एक नई रणनीति बना रहे हैं जो पूरे देश में लागू हो सके। पहला कदम होगा सितारों के साथ सफर करने वाले स्टाफ की संख्या तय करना। प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल के पदाधिकारियों ने इस बारे में तमिल और तेलुगु सिनेमा की संस्थाओं से बात की है। प्रारंभिक चर्चा के बाद जल्द ही एक बैठक होगी जिसमें सितारों की फीस, उनके स्टाफ और अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
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