जम्मू। जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में पिछले 46 दिनों में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। इस अवधि में 7 आतंकी हमलों में 11 सैनिक शहीद हो चुके हैं, जबकि 10 आम नागरिकों की जान चली गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।
सेना के पूर्व कर्नल सुशील पठानिया ने कहा कि आतंकवादियों का पीछा करते समय सैनिकों की जान का जोखिम बढ़ रहा है, खासकर बीहड़ और कठिन इलाकों में। उनका सुझाव है कि जहां आतंकवादियों के होने की सूचना है, वहां ग्रेनेड, मोर्टार और गनशिप हेलीकॉप्टर का उपयोग करके कार्रवाई की जानी चाहिए।
पूर्व डीजीपी एसपी वेद ने कहा कि अब आतंकी फिदायीन हमले नहीं करते, बल्कि वह घात लगाकर हमले करते हैं और फिर भाग जाते हैं। यह आतंकियों की नई रणनीति है। उन्होंने कहा कि इन आतंकियों तक पहुंचने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी।
हालिया हमलों की सूची:
- पहला हमला (9 जून, रियासी): शिवखोड़ी में यात्रियों की बस पर हमला। 10 यात्रियों की मौत, 40 घायल।
- दूसरा हमला (11-12 जून, डोडा और भद्रवाह): पुलिस और सेना के कैंप पर हमला। 7 जवान घायल।
- तीसरा हमला (7 जुलाई, राजौरी): सुरक्षा चौकी पर हमला, एक सैन्यकर्मी घायल।
- चौथा हमला (8 जुलाई, कठुआ): 5 जवान शहीद।
- पांचवां हमला (16 जुलाई, डोडा): सेना पर हमला, 4 जवान शहीद।
- छठा हमला (22 जुलाई, राजोरी): बीडीसी सदस्य और सेना के जवान पर हमला।
- सांतवां हमला (7 जुलाई, राजोरी): सेना के कैंप पर हमला, जवान घायल।
पाकिस्तान की बदली साजिश:
पाकिस्तान ने हाल ही में केरन, गुरेज और उड़ी सेक्टरों में घुसपैठ के प्रयास किए हैं। पाकिस्तान ने अफगान युद्ध-प्रशिक्षित आतंकवादियों को अत्याधुनिक अमेरिकी, ऑस्ट्रियाई और अन्य विदेशी हथियारों से लैस कर कश्मीर घाटी में हिंसा बढ़ाने की योजना बनाई है। इन आतंकियों के पास नाइट विजन स्नाइपर राइफल्स भी हैं।