
बंगलुरू। दैनिक जीवन में सबसे जरूरी चीजों में से एक पेट्रोल-डीजल है। जब भी इनकी कीमतों में बढ़ोतरी होती है, इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। हाल ही में खबर आई है कि कर्नाटक में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
क्या है पूरा मामला?
कर्नाटक में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने की संभावना इसलिए है क्योंकि राज्य सरकार ने बिक्री कर (VAT) में संशोधन किया है। इस संशोधन के अनुसार, पेट्रोल पर बिक्री कर को 29.84% और डीजल पर 18.44% तक बढ़ाया जा रहा है।
कितना बढ़ेगा दाम?
पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के मुताबिक, इस संशोधन के बाद कर्नाटक में पेट्रोल की कीमत लगभग 3 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 3.05 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ने की संभावना है। इससे राज्य के नागरिकों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
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पाकिस्तान में पेट्रोल की स्थिति
जहां एक तरफ कर्नाटक में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने वाली हैं, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में पेट्रोल और हाई-स्पीड डीजल (एचएसडी) की कीमतों में कटौती की गई है। हाल ही में पाकिस्तान सरकार ने ईद-उल-अजहा से पहले पेट्रोल की कीमत में 10.20 पाकिस्तानी रुपये और एचएसडी की कीमत में 2.33 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर की कटौती की है।
पाकिस्तानी पेट्रोल की नई कीमतें
एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि कटौती के बाद पेट्रोल की नई कीमत 258.16 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर और एचएसडी की नई कीमत 267.89 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर होगी। यह कटौती शनिवार से प्रभावी हो गई है।
भारत और पाकिस्तान में पेट्रोल की तुलना
हालांकि, अगर भारत और पाकिस्तान की पेट्रोल-डीजल की कीमतों की तुलना करें, तो यह साफ है कि पाकिस्तान में कटौती के बावजूद पेट्रोल की कीमतें भारत के मुकाबले अभी भी लगभग ढाई गुना अधिक हैं।
क्यों बढ़ाए जाते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम?
पेट्रोल और डीजल की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती हैं, जिनमें कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें, विनिमय दर, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए कर आदि शामिल हैं। कर्नाटक सरकार द्वारा बिक्री कर में संशोधन एक ऐसा कदम है, जिसे राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इसका असर
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर केवल वाहनों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका असर परिवहन लागत पर भी पड़ता है, जो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को बढ़ा देता है। इससे महंगाई दर भी प्रभावित होती है और आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ता है।
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