![संसद सत्र: राहुल गांधी को ओम बिरला का करारा जवाब 'माइक बंद करने का कोई स्विच नहीं!' 1 राहुल-गांधी-को-ओम-बिरला-का-करारा-जवाब](https://thenewsbrk.com/wp-content/uploads/2024/07/d7i0b31_rahul-gandhi_650x400_28_June_24.webp)
नई दिल्ली। लोकसभा में आज फिर से हंगामा हुआ जब विपक्ष ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का माइक बंद करने का आरोप लगाया। इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्पष्ट जवाब दिया कि पीठासीन अधिकारियों के पास माइक्रोफोन बंद करने के लिए कोई स्विच या रिमोट कंट्रोल नहीं होता है।
ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों को करारा जवाब देते हुए कहा, “यह बहुत ही गंभीर आरोप है कि पीठासीन अधिकारी जानबूझकर माइक बंद करते हैं। हमारे पास ऐसा कोई स्विच या रिमोट नहीं है।” उन्होंने कहा, “स्पीकर सिर्फ निर्णय और निर्देश देते हैं, और माइक को उसी के अनुसार नियंत्रित किया जाता है।”
बिरला ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श की मांग की और कहा, “सदन में बोलने का मौका उसी सांसद को मिलता है जिसका नाम पुकारा जाता है। लेकिन स्पीकर के पास माइक्रोफोन को बंद करने का कोई बटन नहीं होता। यह आरोप अत्यंत चिंता का विषय है।”
बिरला ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोप का भी जवाब दिया, जिन्होंने कहा था कि नीट अनियमितताओं का मुद्दा उठाने पर उनका माइक बंद कर दिया गया था। बिरला ने कहा, “मेरे पास माइक बंद करने का कोई बटन नहीं है। पहले भी ऐसी ही व्यवस्था थी और आज भी कोई माइक बंद करने की व्यवस्था नहीं है।”
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ओम बिरला ने यह भी बताया कि स्पीकर के पैनल में सभी राजनीतिक दलों के सांसदों का प्रतिनिधित्व होता है, जो स्पीकर की अनुपस्थिति में कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं। उन्होंने कहा, “यह स्पीकर की गरिमा का मामला है। कम से कम जो लोग इस पद पर बैठे हैं, उन्हें ऐसी आपत्ति नहीं उठानी चाहिए।”
बिरला ने राहुल गांधी से कहा, “अपने नेता से पूछ लो, के. सुरेश भी उसी पद पर हैं। क्या स्पीकर के पास माइक का नियंत्रण है?”
यह विवाद तब और बढ़ गया जब विपक्ष ने यह मुद्दा फिर से उठाया। बिरला ने स्पीकर की भूमिका और कर्तव्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही निष्पक्ष और पारदर्शी होती है। इस बात पर जोर दिया गया कि पीठासीन अधिकारियों का काम सदस्यों को सुचारू रूप से बोलने का मौका देना है, न कि माइक बंद करना।
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इस मामले ने लोकसभा में तनाव बढ़ा दिया, लेकिन ओम बिरला ने अपने बयान से सदस्यों को विश्वास दिलाने की कोशिश की कि सदन में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहेगी।
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