हाथरस। हाथरस में हुए इस दर्दनाक हादसे ने हर किसी के दिल को हिला कर रख दिया है। सोमवार को हुए इस हादसे में सवा सौ लोगों की जान चली गई। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि इस घटना के पीछे सत्संग स्थल पर बनाई गई ‘रंगोली’ का बुरादा प्रमुख कारण था।
बाबा की ‘रंगोली’ का बुरादा बना मौत का कारण
जानकारी के मुताबिक, भगदड़ मचने से हुई इन सवा सौ मौतों के पीछे वह ‘रंगोली’ है, जो बाबा के मार्ग के लिए बनाई गई थी। इस रंगोली को बाबा का आशीर्वाद मानकर भक्त उसे दंडवत प्रणाम कर अपने साथ ले जाते हैं। लेकिन इस बार जब हजारों लोग एक साथ रंगोली लेने के लिए दंडवत हुए, तो संभलने का मौका नहीं मिला और भगदड़ मच गई।
आयोजन की जानकारी नहीं दी गई
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इस आयोजन की जानकारी स्थानीय पुलिस और प्रशासन को नहीं दी गई थी। पंडाल में सवा दो टन बुरादे से रंगोली बनाई गई थी, जिसका कोई पूर्व सूचना नहीं थी। इस आयोजन की जानकारी अब उत्तर प्रदेश शासन के अधिकारियों से साझा की जा चुकी है।
रंगोली की मान्यता
हर सत्संग कार्यक्रम में नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के मार्ग में लगभग 200 मीटर की रंगोली बनाई जाती है। भक्तों में मान्यता है कि जब बाबा इस रंगोली से होकर गुजरते हैं, तो यह रंगोली बेहद पुण्य हो जाती है। भक्त इस बुरादे को अपने घर ले जाकर मानते हैं कि इससे बीमारियां दूर होती हैं और भूत-प्रेत का डर नहीं सताता।
भगदड़ के पीछे का सच
लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक, नारायण साकार के कार्यक्रम में अनुमानतः एक लाख के करीब भीड़ थी। जब बाबा रंगोली से गुजरे, तो हजारों की संख्या में लोग रंगोली को दंडवत करने के लिए पहुंच गए। इस भगदड़ में सवा सौ लोगों की जान चली गई।
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बाबा के सेवादारों की भूमिका
एलआईयू की रिपोर्ट में बताया गया है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बाबा के सेवादार मौजूद थे, लेकिन वे भीड़ को संभालने में नाकाम रहे। घटनास्थल पर मौजूद लोगों के अनुसार, बाबा को पिछले दरवाजे से निकाल दिया गया, लेकिन उनकी रंगोली के चक्कर में सवा सौ लोगों की मौत हो गई।
प्रशासन और पुलिस की नाकामी
स्थानीय पुलिस के मुताबिक, रंगोली के बुरादे को लेने की जानकारी न तो प्रशासन को दी गई थी और न ही पुलिस को। इस आयोजन में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जो बंदोबस्त होने चाहिए थे, वे न पहले पर्याप्त थे और न ही इस बार पर्याप्त थे।
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान
कार्यक्रम में शामिल होने गए देवतादीन की बहू शांति भी उनके साथ थीं। उन्होंने बताया कि इससे पहले 2019 में भी इतनी ही भीड़ थी, लेकिन उस समय कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी। देवतादीन ने कहा कि भगदड़ को वे भीड़ के जल्दी-जल्दी निकलने जैसी स्थिति ही समझते रहे।
दर्दनाक हादसा
सिकंदराराऊ के नेशनल हाईवे स्थित गांव फुलरई मुगलगढ़ी के खेतों में आयोजित नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच गई थी। स्वयंसेवकों ने लाठी-डंडों से भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में कई महिलाएं और बच्चे भी कुचले गए।
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