लखनऊ। चीन(China) का चंद्र मिशन चांग ई-6 सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर गया है, जो चांद का एक दूरस्थ और कम अन्वेषित क्षेत्र है। इस उपलब्धि के साथ, चीन ने अंतरिक्ष अन्वेषण में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। चीन की नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, चांग ई-6 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित एटकेन बेसिन क्रेटर पर लैंडिंग की है, जो ज्ञात सबसे बड़ा क्रेटर है।
चांद की सतह से नमूने लाएगा चांग ई-6
चीन का चांग ई-6 मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से नमूने इकट्ठा कर पृथ्वी पर वापस लाएगा। 2019 में चांग ई-4 मिशन के बाद, चांग ई-6 मिशन चांद की सतह से करीब दो किलो नमूने लेकर आएगा। इसके लैंडर में एक मैकेनिकल आर्म लगाई गई है जो ड्रिल करके नमूने एकत्र करेगी। यह मिशन 53 दिन का है और फिर 3 मई को लॉन्च किया गया था।
वैज्ञानिक महत्व
यह मिशन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने चांद के उस हिस्से पर लैंडिंग की है, जो हमेशा पृथ्वी से दूर रहा है और जहां सूर्य की किरणें कभी नहीं पड़ी हैं। इन नमूनों से वैज्ञानिकों को चांद के गठन और उसकी भौतिक संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलने की उम्मीद है।
भविष्य के मानव मिशन
नमूनों के परीक्षण से यह पता चल सकता है कि चंद्रमा का निर्माण कैसे हुआ। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है, जो अमेरिका और रूस के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका ने चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के सैन्य उद्देश्यों को लेकर चेतावनी दी है। चीन ने 2030 तक चांद पर मानव मिशन भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि अमेरिका 2026 में चांद पर फिर से मानव मिशन भेजने की योजना बना रहा है।