मथुरा। वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज को आज के समय मेंं हर कोई जानता है। वर्तमान में सनातन धर्म की ध्वज पताका लहराने वाले बाबा प्रेमानंद के पास बड़े से बड़े वीवीआईपी लाइन लगाए खड़े मिलते है। क्या आम और क्या खास हर कोई महाराज की एक झलक के लिए घंटो घंटो खड़े रहते है। और प्रेमानंद महाराज भी सभी श्रद्धालुओं की भगवत भावना को प्रणाम करते हुए अपने काम में लगे रहते है। अगर कोई भी व्यक्ति जिज्ञासु मन के साथ महाराज जी के पास पहुंचता है तो प्रेमानंद महाराज उसके हर सवाल का जवाब बड़ी ही सरलता के साथ देते है और उस व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग में आगे बढ़ाते है। ऐसा ही एक सवाल प्रेमानदं महाराज से एक व्यक्ति ने पूछा कि जो लोग पूजा पाठ भी करते है और झूठ कपट का व्यवहार करते है और तो और भोजन में मांस, मदिरा आदि का सेवन करते है तो उनका क्या होगा…
इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा कि देखिए आज के संसारी लोग पूजा को सिर्फ शारीरिक रूप से किया गया कार्य मानते है। जो लोग मंदिर में जाकर भगवान के सामने आरती घुमा दें या सिर्फ बगैर मन के भावों के मुंह से भजन गाते है। और इसके बाद दुनिया में अपना काम करते वक्त द्वेष, दूसरों की निंदा, कपट, जीव हिंसा आदि व्यवहार करते है तो वो लोग भगवान का असल आनंद अनंत जन्मों तक नहीं पा सकते है। भगवान के अथाह प्रेम औऱ आनंद के समंदर से बूंद भर भी उनको नहीं मिलेगा।
असली पूजा का मतलब ये होता है कि चाहे आप एक बार भी भगवान के मंदिर में मत जाइए, न ही उनकी पूजा आदि करिए लेकिन भगवान के वचनों और शास्त्रों में बताई हुई बातों का पालन करते हो। अगर कोई भी मनुष्य ऐसा करता है तो भगवान उस व्यक्ति से बहुत प्रसन्न होते है, और उसे अपनी भक्ति देते है, जिससे बाद में उसको भगवान के दर्शन मिलते है। लेकिन अगर कोई इसके विपरीत काम करता है तो उसको हिंसा आदि कर्मों का भयानक दंड मिलता है। प्रेमानंद महाराज आगे कहते है कि जैसे अभी आप लोगों को हम ये बात बता रहे है तो आपमें से कुछ लोग तो मान जाएंगे और ये कुकृत्य करना छोड़ देगें लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो ये कहेंगे कि हम तो हिंसा आदि कर्म करेंगे जो होगा वो बाद में देख लेगें। लेकिन हम सही बता रहे है कि वहीं लोग जब नर्क में जलाएं जाते है तो उनको भीषड़ कष्ट होता है। और वे लोग बुरी तरह चिल्लाते है लेकिन तब उनको कोई वहां पर बचाने वाला भी नहीं होता है क्यूंकि ये उनके कर्मों का फल होता है जो उनको भुगतना ही पड़ता है।
ये बात को गांठ बांध कर रख लीजिए कि भगवान को सिर्फ आपके भाव से प्रेम होता है,आप जिस भी भाव से भगवान से प्यार करते है भगवान भी ठीक वैसा ही व्यवहार करने लगते है। और जो भी व्यक्ति भगवान की सच्चे भाव के साथ पूजा करता है तो उसके भीतर से भगवान की प्रेरणा से द्वेष, ईर्ष्या, निंदा, हिंसा आदि दोष अपने आप ही धीरे धीरे होकर कम होते जाते है औऱ भगवत्प्राप्ति पर खत्म हो जाते है।
जो लोग हिंसा, दंभ आदि का रास्ता अपनाते है तो उनको जीवन भर दुख,विपत्तियों का सामना तो करना पड़ता है ही साथ ही उनको ऊपर भी कठोर दंड दिया जाता है। आखिरकर है तो हम सब भगवान के ही बच्चे।सिर्फ इसलिए कि आपको भगवान की कृपा से मानव शरीर मिल गया तो आप बेजुबान जीवों की हत्या कर खाएंगे। ध्यान रखिएगा, और मेरी बात को गांठ बांध लीजिए कि जो भी जीव हिंसा करता है और कष्ट पहुंचाता है तो उस व्यक्ति को भी बदले में उतना ही कष्ट मिलता है जितना कि उस जीव को मिला है। भगवान के यहां एक एक कौड़ी का हिसाब किया जाता है। न एक कौड़ी किसी को ज्यादा मिलता है और न एक कौड़ी कम।