कानपुर। चकरपुर मंडी चौकी प्रभारी सत्येंद्र कुमार यादव और सिपाही अजय कुमार यादव की प्रताड़ना से तंग होकर सब्जी की रेड़ी लगाने वाले सुनील राजपूत ने खुदकुशी कर ली। इस मामले में मंडी के अन्य सब्जी दुकानदारों ने भी दरोगा और पुलिस पर उगाही और प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। वहीं, सुनील राजपूत की मौत के बाद चौकी प्रभारी सत्येंद्र कुमार यादव और सिपाही अजय कुमार यादव के साथ बातचीत के चार ऑडियो वायरल हो रहे हैं। ये चारों ऑडियो 43, 52, 55 और 56 सेकेंड के हैं।
दोतरफा मार झेल रहे फुटकर दुकानदार
कानपुर में चकरपुर मंडी चौकी प्रभारी सत्येंद्र कुमार यादव और सिपाही अजय कुमार यादव की उगाही से केवल सुनील राजपूत ही नहीं, मंडी के कई और फुटकर दुकानदार प्रताड़ित हैं। पूछताछ में मंडी के एक-दो नहीं, बल्कि लगभग 10 लोगों ने दोनों पुलिस वालों की उगाही के बारे में बताया।
उगाही से परेशान लोगों ने सुनाई आपबीती
कहा कि पुलिस की वसूली तो हम गरीब लोगों के लिए दोहरी मार की तरह है।एक तो पुलिस वाले रुपये छीन लेते थे, मुफ्त में सब्जी भर ले जाते थे, वो अलग। इससे वे लोग आढ़तियों के कर्जदार हो गए। क्योंकि आढ़ती ये कहकर सब्जी उधार दे देते हैं कि बेचने के बाद उनका पैसा लौटा देना, लेकिन पुलिस वालों की उगाही के चलते मुनाफा तो छोड़ो मूल रकम भी कम पड़ जाती है।
पुलिस वाले सब्जी उठाकर ले जाते, पैसे भी छीन लेते
चकरपुर सब्जी मंडी में पिछले 12 साल से हरी सब्जी की फुटकर दुकान लगाने वाले सावंरिया नेे बताया इन दिनों वह धनिया और लोबिया बेंच रहे हैं। अक्सर पुलिस वाले आते हैं और मनमाने अंदाज में सब्जी उठाकर चले जाते हैं। रोकने की कोशिश करो तो गाली देने लगते हैं। कभी-कभी पैसे भी छीन लेते हैं।
विरोध करो तो धमकाते…दुकान लगानी है या नहीं
सचेंडी निवासी सुनील कश्यप ने बताया कि पुलिस वालों को हमारी गरीबी नहीं दिखती। वो बस अपना रुआब दिखाकर जरूरत के मुताबिक सब्जी छीन ले जाते हैं। कई बार हम लोगों ने विरोध करने की कोशिश की तो धमकी देते कि दुकान लगानी है कि नहीं। कई बार दरोगा खुद नहीं आ पाता तो सिपाही या कारखास को भेज देता था।
कभी भी घर में घुस जाते थे पुलिस वाले : मां
जिस कमरे के अंदर सुनील ने मंगलवार को फांसी लगा ली थी। गुरुवार दोपहर उसी कमरे के बाहर तख्त पर लेटी मां बेटे की याद में सिसकियां भर रही थी। पूछने पर बताया कि बड़े बेटे राजकुमार के चक्कर में पुलिस हम घर वालों को परेशान करती थी। कभी भी दबिश के नाम पर घर में घुस आते और बेटे-बहुओं को परेशान करते। सबसे ज्यादा प्रताड़ना छोटे बेटे सुनील को सहनी पड़ती थी। पुलिस वाले उससे पैसा और सब्जी छीन लेते थे। इससे परेशान होकर उसने फरवरी में नींद की गोली खाकर जान देने की कोशिश की थी।
न मैं सब्जी दे पाऊंगा और न पैसे
पहले वीडियो में पुलिस वाले उसके पास से मिली नींद की गोलियां देखते हुए पूछते हैं कि ये कहां से ली, तो सुनील जगह का नाम नहीं बताता है। दूसरे वीडियो में भीड़ के बीच में खड़ा एक पुलिस वाला उससे पूछता है कि तुम्हारे ऊपर कार्रवाई नहीं हुई। तुम्हें बस इसी तरह परेशान करते हैं, तो सुनील कहता है कि उनका परेशान करने का मतलब है कि मैं चौकी जाऊं और उनको दो, चार-पांच हजार दूं। उन्हें न मैं सब्जी दे पाऊंगा और न पैसे। सीधी सी बात।
सुनील के भाई छोटे राजपूत ने दो वीडियो दिखाते हुए कहा ये वीडियो छह फरवरी की रात के हैं। जब सुनील ने पहली बार नींद की गोली खाकर जान देने की कोशिश की थी तब पुलिस आई थी। पहला वीडियो एक मिनट आठ सेकेंड का है और दूसरा 23 सेकेंड का।
वायरल ऑडियों में सुनील और दरोगा के बीच हुई बातचीत
पहला ऑडियो
चौकी प्रभारी: हैलो।
सुनीलः हां, सुनील बोल रहे हैं, सचेंडी से।
चौकी प्रभारी: घोड़पड़े के भाई।
सुनील: हां।
चौकी प्रभारी: क्यों, मंडी में एक लड़का भेजा था हमने, तुमने उसे सब्जी नहीं दी।
सुनीलः हां, वह आया था लेकिन हम नहीं जानते थे कि वो आपके साथ है। हमने कहा पैसे तो बोला, एसओ साहब देंगे। हमने कह दिया कि एसओ साहब तो सौदा ले जाते हैं, पैसा कैसे देंगे।
चौकी प्रभारी: अरे तो हम पैसे दे देते, कल दे देते।
सुनील: नहीं सर, बात पैसे कि नहीं है। वो कह रहे थे कि चौकी में लेकर आना भाई को। नहीं तो दुकान न लगाना।
चौकी प्रभारी: कौन कह रहा था।
सुनील: अनीस कह रहे हैं।
चौकी प्रभारी: चलो भाई को ले आना, तब लाना जब हम वहां हों।
दूसरा ऑडियो
चौकी प्रभारी: जयहिंद सर (शायद, किसी अधिकारी का फोन समझ रहा था)।
सुनील: जयहिंद सर, सुनील बोल रहे हैं। ये कह रहे हैं, जो राजकुमार घोरपड़े हैं सचेंडी के हिस्ट्रीशीटर। इस समय बिठूर में हैं दरियापुर में।
चौकी प्रभारी: घर पे हैं? सचेंडी क्षेत्र में।
सुनील: नहीं, सचेंडी में नहीं बिठूर में हैं, दरियापुर में, ड्रिंक भी किए हैं।
चौकी प्रभारी: चलो, एक बार एसओ साहब से बात कर लेते हैं।
सुनील: सर बात कर लीजिए, हम सचेंडी से उसके भाई बोल रहे हैं सुनील।
चौकी प्रभारी: किसके।
सुनील: राजकुमार घोड़पड़े के भाई।
चौकी प्रभारी: चलो ठीक है, देखते हैं।
तीसरा ऑडियो
चौकी प्रभारी: तेरी दुकान कहां पर लगती है।
सुनील: जहां पर अजय सर आते हैं, राजकुमार घोरपड़े के भाई हैं न।
चौकी प्रभारी: अरे राजकुमार घोरपड़े का भाई है, तो तेरा नाम क्या है। तू मुझे जानता है।
सुनील: बिल्कुल जानते हैं साहब।
चौकी प्रभारी: मैंने तुझसे पैसा मांगा था।
सुनील: पैसा नहीं सौदा मांगते हो न, वो कह रहे थे।
चौकी प्रभारी: पैसा कौन मांग रहा है, तू फोन मुझे कर रहा है।
सुनील: अजय, अजय आपके साथ में रहता है।
चौकी प्रभारी: नहीं, तू मुझे फोन कर रहा है, जानता है मैं कौन बोल रहा हूं।
सुनील: चौकी इंचार्ज साहब बोल रहे हो।
चौकी प्रभारी: (गुस्से में) हां चौकी इंचार्ज बोल रहा हूं। तू मुझसे कह रहा है कि मुझे पैसा चाहिए। तू मुझे पैसा दे रहा है। तेरी सैलरी से मैं वर्दी पहन रहा हूं। तेरी सैलरी से मेेरे बच्चे पढ़ रहे हैं।
सुनील: मेरी सैलरी से वर्दी नहीं पहन रहे हो। मैं फांसी….सुनो सुनो मुझे अपनी बात न बताओ, मेरी सुनो। हमारी आज सुन लो।
चौकी प्रभारी: तू जो कह रहा है गलत आरोप लगा रहा है, सुन पहले, मैं तेरे खिलाफ इसी आरोप में कार्रवाई कराता हूं।
सुनील: हम खुद ही कार्रवाई कराएंगे।
फरार दरोगा और सिपाही के परिजनों को थमाया नोटिस
सब्जी विक्रेता सुनील राजपूत को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में फरार चल रहे दरोगा सत्येंद्र यादव और सिपाही अजय यादव को हाजिर होने के लिए पुलिस ने उनके परिजनों को नोटिस दिया है। इसमें आरोपियों से पक्ष रखने को कहा गया है। सतेन्द्र मैनपुरी के करहल का रहने वाला है। वहीं सिपाही अजय यादव सैफई इटावा का निवासी है। डीसीपी पश्चिम विजय ढुल ने बताया कि उनके परिजनों को नोटिस थमाया गया है।
घटना पर सांगा ने जताया दु:ख
पुलिस की ओर से गरीब जनता को प्रताड़ित करने वाली घटना को बिठूर से विधायक अभिजीत सिंह सांगा निंदनीय बताया है। साथ ही उन्होंने सुनील के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना जाहिर की है। और इस बात का आश्वासन भी दिया है कि आरोपी पुलिस दरोगा सत्येंद्र यादव और सिपाही अजय यादव के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। इसके अलावा सांगा ने मृतक सुनील के परिवार को सरकार से मुहावजा दिलाने की बात भी कही गई।