
नोएडा। जंगलों की कटाई और अंधाधुंध विकास के कारण मौसम अपने चरम पर है। कभी भीषण गर्मी तो कभी भयंकर सर्दी जीवन को मुश्किल बना रही है। फिलहाल, बारिश और बाढ़ ने उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में तबाही मचाई है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और पश्चिमोत्तर राज्यों के हजारों गांव बाढ़ की चपेट में हैं। भीषण बारिश और बाढ़ से यूपी के विभिन्न जिलों में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हर साल बाढ़ से भारी जन-धन का नुकसान होता है, सैकड़ों मवेशी और लाखों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो जाती हैं, और लाखों लोग बेघर हो जाते हैं।
विशेषज्ञों की राय: बाढ़ का असर कम करने के उपाय
पर्यावरणविद् राजीव नयन बहुगुणा के मुताबिक, बाढ़ से बचाव के लिए नदियों के तटबंध में सीमेंट का उपयोग उचित नहीं है, क्योंकि यह बहाव को तेज कर देता है। टिहरी डैम में भी सीमेंट के बजाय मिट्टी और पत्थर का अधिक उपयोग किया गया है। नदी का घुमावदार बहाव बाढ़ के नुकसान को कम करने में मदद करता है।
तटों के कटान को रोकने के लिए बांस का उपयोग
राजीव नयन बहुगुणा ने तटों के कटान को रोकने के लिए समुद्र के किनारों पर लगाए जाने वाले मैंग्रोव की तरह नदियों के किनारों पर बांस, सागौन, जामुन, और साल के पेड़ लगाने का सुझाव दिया। भूटान इसका एक अच्छा उदाहरण है, जहां घने जंगलों के कारण बाढ़ का प्रभाव कम होता है।






फ्लड प्लेन का अतिक्रमण रोकें
वरिष्ठ नदी और बाढ़ विशेषज्ञ डॉ. पीके श्रीवास्तव ने बताया कि लोगों ने नदियों के फ्लड प्लेन पर अतिक्रमण कर गांव बसा लिए हैं। गाइडलाइन के अनुसार, जितनी बड़ी नदी, उतना बड़ा फ्लड प्लेन आरक्षित होना चाहिए। बाढ़ से बचने के लिए बचे हुए फ्लड प्लेन को अतिक्रमण से बचाना चाहिए।
बोरियों में रेत और अन्य उपाय
वरिष्ठ आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि कटान रोकने के लिए पॉर्क्यूपाइन (आरसीसी से बना खास ढांचा) लगाई जाती है। इससे धारा की गति नियंत्रित होती है। रेत से भरी बोरियों को सीढ़ी के आकार में लगाने से कटान कम होता है। खस का प्रयोग भी कारगर होता है, क्योंकि इसकी जड़ें आपस में जुड़कर मिट्टी को बांध लेती हैं।
समुद्रतटीय इलाकों में किए गए प्रयोग
मुंबई के मरीन ड्राइव पर पड़े बड़े-बड़े सीमेंट ब्लॉक समुद्र के पानी को तटों का दायरा तोड़कर शहर में घुसने से रोकते हैं। तटवर्ती इलाकों में मैंग्रोव वनस्पति समुद्र के उफनते पानी और तूफान को अधिक बर्बादी फैलाने से रोकने में कारगर साबित हुई हैं। गोवा समेत कई समुद्रतटीय इलाकों में हर साल बड़े-बड़े बैग में रेत भरकर मोटी अस्थायी दीवारें बनाई जाती हैं, जिससे बर्बादी का स्तर घटाया जा सके।
एक रुपये का खर्च बचा सकता है हजारों रुपये
मिश्रा का कहना है कि आपदा से पहले बचाव उपायों पर खर्च किया गया एक रुपया, आपदा के बाद होने वाले हजारों रुपये के नुकसान को बचा सकता है। दस मीटर लंबे और दो मीटर चौड़े ‘जियो बैग’ को कटान वाली जगह पर रखकर मशीन से बालू भरी जाती है, जिससे कटान कम होती है। बड़े-बड़े पत्थरों को तार के जाल में बांधकर सीढ़ीनुमा स्ट्रक्चर बनाने से भी कटान कम होती है।
यह भी पढ़ें:
- Free Gambling games One to Shell out Real cash No Deposit
- Free Gambling games One to Shell out Real cash No Deposit
- Whales break da bank once again $1 put Pearl Luxury Online Condition because of the Novomatic الميار التعليمي
- Télécharger Put Android Apk Et Ios
- لماذا يجب أن تقوم بتحميل 1xBet اليوم؟
- Aviator Game ️ Play Online About Official Site Within India”