
नई दिल्ली। कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस संगीन घटना के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और छात्रों में भारी आक्रोश है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि मामले से जुड़े सभी दस्तावेज तुरंत केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिए जाएं।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी: नैतिक जिम्मेदारी के बावजूद फिर से नियुक्ति?
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवागनानम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल प्रोफेसर (डॉ.) संदीप घोष के इस्तीफे के बावजूद उन्हें दूसरे सरकारी कॉलेज में नियुक्त करने पर सवाल उठाए। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या संदीप घोष का बयान दर्ज किया गया था, जिस पर राज्य के वकील ने नकारात्मक जवाब दिया।
अप्राकृतिक मौत का मामला क्यों नहीं?
हाईकोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि इस मामले में हत्या का मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया और केवल अप्राकृतिक मौत का मामला क्यों शुरू किया गया। पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने बताया कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन हत्या की शिकायत तुरंत नहीं की गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोलकाता पुलिस की जांच पारदर्शी होनी चाहिए और राज्य सरकार को डॉक्टरों और प्रशिक्षुओं की मांगों पर ध्यान देना चाहिए।
सीबीआई को सौंपी जाएगी जांच
कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मामले की केस डायरी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए और राज्य सरकार इस पर पूरी तरह से सहयोग करे। अब इस मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी।
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