बेगूसराय। बेगूसराय में लगातार बढ़ती गर्मी का कहर जारी है, जिससे सरकारी विद्यालय की छात्राओं की सेहत पर गहरा असर पड़ रहा है। मटिहानी थाना क्षेत्र के मटिहानी मध्य विद्यालय में 14 छात्राएं भीषण गर्मी के कारण बेहोश हो गईं। इन्हें तुरंत मटिहानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
अभिभावकों ने शिकायत की है कि इतनी भयानक गर्मी के बावजूद बच्चों को स्कूल में उपस्थित होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने स्कूल बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया है, जिसके चलते बच्चों की सेहत खतरे में है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की सेहत को नजरअंदाज करके उन्हें स्कूल में उपस्थित होने के लिए मजबूर करना अस्वीकार्य है। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है।बेगूसराय में तापमान 42 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, जिससे बच्चे स्कूल में ही बीमार पड़ रहे हैं।
शिक्षकों के लिए भी है असहनीय
मटिहानी मध्य विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि भीषण गर्मी के बावजूद स्कूल का संचालन सुबह 6:00 बजे से ही शुरू हो जाता है। इस समय गर्मी अपने चरम पर है और भीषण गर्मी में विद्यालय का संचालन करना बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए असहनीय हो गया है। उन्होंने बताया कि गर्मी के कारण बच्चों का ध्यान पढ़ाई में नहीं लग पा रहा है और वे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। शिक्षक और अभिभावकों ने बिहार सरकार से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है।
स्थानीय लोगों में है आक्रोश
स्थानीय लोगों ने भी इस मामले पर आक्रोश जताया है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को इस भीषण गर्मी के मद्देनजर स्कूल बंद करने का आदेश जारी करना चाहिए। बच्चों की सेहत और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि आज का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस है और इस अत्यधिक गर्मी में बच्चों का स्कूल जानाअत्यंत जोखिम भरा है।बिहार में वर्तमान में गर्मी की स्थिति अत्यंत गंभीर है और इसे देखते हुए अभिभावकों और शिक्षकों की मांग है कि स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद किया जाए या उनकी समय सारिणी में बदलाव किया जाए। यह कदम बच्चों की सेहत और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
भर्ती छात्राओं का स्वास्थ्य थोड़ा बेहतर
मटिहानी पीएचसी में भर्ती सभी छात्राएं अब बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन इस घटना ने एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा कर दिया है – क्या बच्चों की सेहत के ऊपर शिक्षा विभाग के आदेशों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए? सरकार को इस सवाल का जवाब देते हुए तुरंत कदम उठाना चाहिए।