पटना। बिहार पुलिस की टीम ने नीट पेपर लीक मामले में बड़ा खुलासा किया है। यह मामला सिर्फ नीट तक सीमित नहीं है, बल्कि सिपाही और शिक्षक भर्ती के तार भी इसमें जुड़े हुए हैं। जांच एजेंसी ने एनटीए और शिक्षा मंत्रालय को पूरे मामले की जानकारी दी है, जिसके आधार पर यह फैसला लिया जाएगा कि परीक्षा रद्द की जाए या नहीं।
क्या है पूरा मामला?
पुलिस ने जले हुए प्रश्नपत्र और बुकलेट नंबर 6136488 को बरामद किया है। दावा है कि यह बुकलेट हजारीबाग के एक सेंटर का है। अब तक की जांच में यह साफ हो गया है कि नूरसराय महाविद्यालय का कर्मी संजीव मुखिया ही इस पेपर लीक करने वाले गिरोह का सरगना है। पुलिस ने संजीव की तलाश तेज कर दी है। आरोप है कि संजीव को एक प्रोफेसर ने व्हाट्सएप पर प्रश्नपत्र भेजा था, जिसे पटना और रांची के मेडिकल छात्रों की मदद से हल करवाया गया था।
पेपर लीक की चौंकाने वाली कहानी
पांच मई की सुबह, उत्तर के साथ इस पेपर को करायपुरसुराय के चिंटू उर्फ बलदेव के मोबाइल पर भेजा गया था। चिंटू की मदद से पिंटू ने इसका प्रिंट निकाला और पटना के एक प्ले स्कूल में ठहराए गए करीब 20-25 अभ्यर्थियों को इस प्रश्नोत्तर को रटने के लिए भेज दिया। पुलिस ने एकंगरसराय प्रखंड में छापेमारी कर एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
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फरार है संजीव मुखिया
इस बीच, उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के पीएम प्रीतम कुमार पर की सिफारिश पर निलंबित जूनियर इंजीनियर सिकंदर यादवेंदु के साले के बेटे अनुराग को ठहराया गया, तब से मामले में नया मोड़ आ गया है। बिहार पुलिस की जांच टीम प्रीतम से भी पूछताछ कर सकती है। वहीं जांच एजेंसी ने नालंदा पुलिस को नोटिस भेजकर संजीव मुखिया को गिरफ्तार करने के लिए कहा है। नालंदा पुलिस ने संजीव मुखिया के घर छापेमारी की, लेकिन वह फरार था।
मामला बढ़ता जा रहा है
पुलिस संजीव के अलावा राकेश रंजन, चिंटू, पिंटू, आशुतोष समेत कई लोगों की तलाश में छापेमारी कर रही है। नीट पेपर लीक के इस मामले ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। छात्रों और उनके अभिभावकों के मन में गुस्सा और निराशा है। वे चाहते हैं कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले और उनके भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो।
एनटीए का फैसला होगा महत्वपूर्ण
सूत्रों की मानें तो एनटीए ने इस जांच रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लेगा कि परीक्षा रद्द करनी है या नहीं। छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एनटीए और शिक्षा मंत्रालय को एक सख्त और निष्पक्ष फैसला लेना होगा। यदि परीक्षा रद्द होती है, तो यह उन छात्रों के लिए बड़ी मुसीबत होगी, जिन्होंने अपनी मेहनत से तैयारी की थी।
सख्त कार्रवाई की मांग
इस मामले में जनता और छात्रों के बीच रोष बढ़ता जा रहा है। वे चाहते हैं कि इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो और सभी दोषियों को कानून के शिकंजे में लाया जाए। बिहार के शिक्षा व्यवस्था पर लगे इस धब्बे को मिटाने के लिए सरकार और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा।
इस पूरे मामले ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह समय है कि हम अपनी शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं। छात्रों का भविष्य हमारे हाथ में है, और हमें उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा।
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