New Crime Laws: ठग अब नहीं कहलाएंगे 420 , हत्यारों के लिए भी बदली 302 धारा; जानें नए कानून से और क्या बदलेगा?

News Desk
New Crime Laws

नई दिल्ली। देश में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे तीन प्रमुख आपराधिक कानून 1 जुलाई से बदल जाएंगे। दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित तीन नए कानून अगले महीने से पूरे देश में लागू हो जाएंगे। ये तीनों कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहलाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता यानि IPC (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता CrPC (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम IAA (1872) की जगह लेंगे।

भारतीय न्याय संहिता: अहम बदलाव

भारतीय दंड संहिता में पहले 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में अब केवल 358 धाराएं होंगी। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं, 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई गई है, 83 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ाई गई है, और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। इसके इतर छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा देने का प्रावधान भी किया गया है।

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धाराओं में बदलाव

  • धारा 124: पहले राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान था। नए कानून में ‘राजद्रोह’ को ‘देशद्रोह’ कहा गया है और इसे राज्य के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।
  • धारा 144: पहले घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होने पर लागू होती थी। अब इसे सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है और गैरकानूनी सभा के लिए धारा 187 है।
  • धारा 302: पहले हत्या करने वाले को धारा 302 के तहत सजा दी जाती थी, अब ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा मिलेगी। यह धारा मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराधों में आती है।
  • धारा 307: पहले हत्या करने के प्रयास में दोषी को धारा 307 के तहत सजा मिलती थी, अब धारा 109 के तहत सजा मिलेगी।
  • धारा 376: पहले दुष्कर्म से जुड़े अपराधों के लिए धारा 376 का प्रयोग होता था। अब इसे महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है और सजा धारा 63 में परिभाषित है। सामूहिक दुष्कर्म के लिए धारा 70 है।
  • धारा 399: पहले मानहानि के मामलों में धारा 399 का प्रयोग होता था। अब इसे आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि आदि के तहत धारा 356 में रखा गया है।
  • धारा 420: पहले धोखाधड़ी या ठगी के अपराध धारा 420 में दर्ज होते थे, अब धारा 316 में होंगे।

सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में बदलाव

दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है। सीआरपीसी की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं, नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी गई हैं। इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है।

बता दें कि इन नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 प्रावधान हैं, जबकि इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। स्पष्ट है कि नए कानून में कुल 24 प्रावधानों को बदला गया है।

नए कानून का उद्देश्य

संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन कानूनों का उद्देश्य सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस करना है। नए कानूनों के तहत अपराधियों को सजा देने के तरीकों में सुधार किया गया है और न्याय प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है।

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