नई दिल्ली। भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए पुरुष 57 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में कांस्य पदक जीतकर एक खास उपलब्धि हासिल की। अमन अब ओलंपिक पदक जीतने वाले भारत के सबसे युवा खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने इस मामले में दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू को पीछे छोड़ दिया है, जो दो बार की ओलंपिक पदक विजेता हैं।
अमन ने कांस्य पदक के लिए पुएर्तो रिको के डारियान टोई क्रूज को हराकर न केवल भारत को पेरिस खेलों में छठा पदक दिलाया, बल्कि अपने नाम को भी भारतीय खेलों के इतिहास में दर्ज कर लिया। भारत ने पेरिस ओलंपिक में अब तक एक रजत और पांच कांस्य पदक जीते हैं, जो टोक्यो ओलंपिक के सात पदकों से सिर्फ एक पदक पीछे है।
21 साल की उम्र में रचा इतिहास
अमन ने हाल ही में 21 साल पूरे किए और वह इतनी कम उम्र में ओलंपिक पदक जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बन गए। इससे पहले यह रिकॉर्ड पीवी सिंधू के नाम था, जिन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता था। सिंधू की उम्र उस समय 21 साल, एक महीना और 14 दिन थी, जबकि अमन ने 21 साल और 24 दिन की उम्र में ही ओलंपिक पदक अपने नाम कर लिया। इस सूची में एक और नाम शामिल है—साइना नेहवाल, जिन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में 22 साल, चार महीने और 18 दिन की उम्र में कांस्य पदक जीता था। इसके अलावा, पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली मनु ने 22 साल, पांच महीने और 10 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी।
कुश्ती में भारत की पदक परंपरा जारी
अमन सहरावत पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान थे, और उन्होंने देश को निराश नहीं किया। उन्होंने ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने की भारत की परंपरा को बनाए रखा। 2008 बीजिंग ओलंपिक के बाद से, भारत ने हर ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीते हैं। 2008 में सुशील कुमार ने कांस्य, 2012 में सुशील ने रजत और योगेश्वर दत्त ने कांस्य, 2016 में साक्षी मलिक ने कांस्य, और 2020 टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया ने रजत और बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीता था।
अमन का यह पहला ओलंपिक था, और उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में कांस्य पदक जीत लिया। इस तरह, पेरिस ओलंपिक में कुश्ती में भारत का खाता खुला, जो विनेश फोगाट के अयोग्य घोषित होने के बाद भारत के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया।
हालांकि, अंतिम पंघाल (53 किग्रा), अंशु मलिक (57 किग्रा), और निशा दहिया (68 किग्रा) से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वे पदक दौर तक पहुंचने में विफल रहीं। दूसरी ओर, विनेश फोगाट (50 किग्रा) ने फाइनल तक पहुंचने में सफलता पाई थी, लेकिन स्वर्ण पदक मैच से पहले उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा पाया गया, जिससे उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस कारण भारत के हाथ से स्वर्ण पदक जीतने का मौका निकल गया।
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