मरते वक्त शरीर से कैसे अलग होती है आत्मा

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आखिर जीवन के आखिरी क्षणों में क्या होता है?

राधा रानी के परम उपासक और वृंदावन धाम के मतवाले संत बिरले ही देखने को मिलते है। लेकिन भगवान की कृपा से हम सभी कलियुगी जीवों को ये सौभाग्य मिला है कि हमारे बीच ऐसे महान संत है जिनका पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणा है। राधा नाम की महिमा का बखान करने वाले प्रेमानंद महाराज को आज के समय में कौन नहीं जानता. भगवान में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति एक बार प्रेमानंद महाराज की जीवन में बस एक झलक देखना चाहता है।  महाराज जी भी सभी भक्तों की भावनाओं को स्नेह पूर्वक स्वीकारते हुए रोजाना सभी श्रद्धालुओं को दर्शन देते है। सिर्फ इतना ही नहीं प्रेमानंद महाराज उनके आश्रम में आने वाले हर साधक के प्रश्नों के उत्तर, एकांतिक वार्ता और प्रवचन भी करते है। जिनसे जुड़ी वीडियोज अक्सर सोशल मीडिया में ट्रेंड करती रहती है। ऐसी ही एक वायरल वीडियों में प्रेमानंद महाराज ने इस बात को बताया है कि आखिर जीवन के आखिरी क्षणों में क्या होता है?…

Premanand Ji Maharaj कहते है कि जिसने भगवान पूरे जीवन भगवान की भक्ति न की हो, कोई भी धर्माचरण नहीं किया हो, दूसरों को कष्ट पहुंचाया हो और मनमाने आचरण करके जीवन जिया होगा, उसके ये सारे पाप कर्म मृत्यु शैया पर आखिरी क्षणों में उसके सामने आते है। और उस पापी व्यक्ति के शरीर से आत्मा यमदूत जबरजस्ती खींच कर निकालते है। और इसमें उस व्यक्ति को भीषण कष्ट होता है।  वहीं जिसने पूरा जीवन भगवान की सेवा, पुण्य कर्मों के साथ बिताया होगा उसके अच्छे कर्म आखिरी क्षणों में सामने आते है। और उसका शरीर अच्छा चिंतन करते हुए तुरंत शरीर छोड़ देता है। आपका अगला जन्म किस योनि में होना है वह जीवन के आखिरी क्षणों में ही डिसाइड होता है। अगर भगवान और धर्म संबंधित आपने काम किए है तो आपको फिर से मनुष्य शरीर मिलेगा नहीं तो 84 लाख योनियों वाला यानि कुत्ते, बिल्ली आदि वाला शरीर मिलेगा। 

महाराज कहते है कि जीवन के आखिरी क्षणों में  ठीक वैसा ही कष्ट होता है, जिस तरह का कष्ट मां के गर्भ में रहने के दौरान हम सबने सहा था। वे आगे कहते है कि जिस तरह इंसान मां के गर्भ के दौरान सहे कष्ट को भूल जाता है उसी तरह पाप और पुण्य कर्मों से मिले स्वर्ग के सुख और नर्क के कष्टों को भी अगले जन्म में भूल जाता है।

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