रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट 6.5% रखा है। RBI की Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक 5 जून से 7 जून तक चल रही है।.आज 11.30 बजे हुये इस बैठक में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बात की घोषणा की है। RBI ने अब तक रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट बढ़ाये हैं। यह सिलसिला 2022 से चला आ रहा है।
ऐसा आठवीं बार हुआ है कि रेपो रेट अपनी जगह से हिला नहीं है। रेपो रेट वह रेट होता है जिसे भारतीय बैंक ऑफ़ इंडिया व्यापारिक बैंकों को देता है।
RBI की नीति से कर्जदारों को मिली राहत
कर्जदारों को RBI की इस मौद्रिक नीति से EMI और उधार को चुकाने में आसानी होगी। अगर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( RBI) रेपो रेट को ऊंचा कर देता तो बैंकों से उधार लेते समय ब्याज की दर भी बढ़ जाती। ऐसे में बैंक से लोन लेते समय ग्राहकों को कई बार सोचना पड़ता। अगर वह बैंक से उधार लेते तो यह उनके लिए महंगा साबित हो सकता था।
मौद्रिक नीति कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इस कमेटी को रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर द्वारा नेतृत्व किया जाता है । इस कमेटी का उद्देश्य होता है कि यह Consumer Price Inflation(CPI) को 4% तक रखें। अभी कुछ महीनो से ठीक-ठाक था लेकिन जैसे ही मानसून चालू होता है तो इसके बढ़ने के आसार बढ़ जाते हैं। ऐसे में मौद्रिक नीति कमेटी (MPC) को इस पर ध्यान देना होगा।
वहीं दूसरी तरफ भारत की जीडीपी को 2023- 24 के वित्तीय वर्ष के लिए बढ़ा हुआ माना जा रहा है। ऐसे में रेपो रेट के कम होने की आशंका जताई जा रही है। consumer price inflation में हम घरेलू ग्राहकों द्वारा खरीदे गए सामान और सेवाओं का औसत मूल्य निकालते हैं।
CPI महंगाई को मापने का एक सूचकांक है।CPI 2024-25 के लिए 4.5% तक है , फिलहाल के लिए यह अभी बैलेंस में है।