लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा ने नजूल संपत्ति विधेयक को पारित कर दिया है, लेकिन यह विधेयक विधान परिषद में अटक गया है, जिससे हंगामा मच गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस बिल के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव के बाद यह तीसरा मुद्दा है, जिस पर विवाद हो रहा है। फिलहाल, नजूल संपत्ति विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा गया है, लेकिन इसके अटकने से उत्तर प्रदेश में सियासी घमासान की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
नजूल संपत्ति बिल का विरोध क्यों हो रहा है?
बुधवार को, उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने नजूल संपत्ति विधेयक को विधानसभा में पेश किया। भारी हंगामे के बीच, यह विधेयक विधानसभा से पारित हो गया। सपा और कांग्रेस समेत कई बड़े नेता और विधायक इस विधेयक के विरोध में नजर आए। जब इस विधेयक को विधान परिषद में पेश किया गया, तो इसे रणनीति के तहत अटका दिया गया।
विधेयक से नाराज कई विधायकों ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की और इससे होने वाले नुकसान की आशंका जताई। नाराज विधायकों का कहना है कि इस बिल से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। कुंडा से विधायक राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह भी इस विधेयक के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि यह जनता के हित में नहीं है और इससे लोग जमीन से बेदखल होंगे और उनके घर टूटेंगे। कई विधायकों ने इस बिल को रोकने की मांग की, जिसके बाद यह तय हुआ कि नजूल संपत्ति विधेयक को विधान परिषद में रोका जाएगा।
नजूल संपत्ति विधेयक 2024 क्या है?
उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक, 2024 का उद्देश्य नजूल भूमि को निजी स्वामित्व में बदलने से रोककर उसे विनियमित करना है। नजूल भूमि सरकारी स्वामित्व वाली होती है लेकिन सीधे राज्य संपत्ति के रूप में प्रबंधित नहीं की जाती है। यह भूमि सार्वजनिक उद्देश्यों, जैसे कि बुनियादी ढांचे या प्रशासनिक कार्यालयों के निर्माण के लिए उपयोग में लाई जाती है।
इस विधेयक में प्रस्तावित है कि नजूल भूमि को निजी व्यक्तियों या संस्थानों को हस्तांतरित करने के लिए किसी भी अदालती कार्यवाही या आवेदन को रद्द कर दिया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि यह भूमि सरकारी नियंत्रण में रहे।
यदि किसी ने स्वामित्व परिवर्तन की प्रत्याशा में भुगतान किया था, तो बिल में यह प्रावधान है कि उन्हें भारतीय स्टेट बैंक की सीमांत निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) पर ब्याज के साथ रिफंड किया जाएगा।
यह सरकार को अच्छी स्थिति वाले वर्तमान पट्टाधारकों के लिए पट्टे का विस्तार करने की शक्ति भी देता है, जो नियमित रूप से किराए का भुगतान करते हैं और पट्टे की शर्तों का पालन करते हैं।
इस विधेयक का उद्देश्य नजूल भूमि प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना और अनधिकृत निजीकरण को रोकना है, ताकि आज्ञाकारी पट्टाधारक भूमि को सरकारी संपत्ति के रूप में बनाए रखते हुए इसका उपयोग जारी रख सकें।
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