नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने इतिहास का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतीं। इस प्रकार, सपा देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है। धार्मिक मुद्दों के बजाय जातीय गोलबंदी और यादव-मुस्लिम गठबंधन पर कम दांव लगाकर सपा ने यह सफलता हासिल की।
पिछले लोकसभा चुनाव में सपा ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें उसे केवल पांच सीटें मिली थीं। इस बार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विपक्षी अभियान का नेतृत्व किया और 62 सीटों पर चुनाव लड़ा। 17 सीटें कांग्रेस और एक सीट तृणमूल कांग्रेस को दी गईं। इस सीट शेयरिंग की रणनीति काफी कारगर साबित हुई, जिससे सपा भाजपा के विकल्प के रूप में उभर सकी।
2019 के चुनाव में पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव सपा से अलग थे, लेकिन इस बार परिवार की एकजुटता ने भी सकारात्मक संदेश दिया। सपा ने प्रत्याशियों का चयन पीडीए फार्मूले पर किया, जिसमें यादवों और मुस्लिमों के साथ-साथ कुर्मी बिरादरी के प्रत्याशी भी उतारे गए। ब्राह्मण और ठाकुर समेत सामान्य जाति के प्रत्याशियों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया।
ये प्लान रहा सुपरहिट
अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयानों से दूरी बनाए रखी और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर सीधे कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके अलावा, इटावा में विशाल मंदिर का निर्माण प्रारंभ कराया, जिससे भाजपा को धार्मिक मुद्दों पर उन्हें घेरने का मौका नहीं मिला। जातीय गोलबंदी के लिए सपा ने संविधान और आरक्षण के मुद्दों को प्रमुखता दी और बेरोजगारी पर पेपर लीक और अग्निवीर मुद्दे के सहारे चोट की।
मुलायम के गढ़ में साइकिल की रफ्तार
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के गढ़ में सपा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। यादवलैंड की छह सीटों में से मैनपुरी का रुतबा बरकरार रहा और सपा ने भाजपा से चार सीटें छीन लीं। सभी सीटों पर सपा का वोटबैंक बढ़ा। मैनपुरी में डिंपल यादव 2.21 लाख मतों से विजयी रहीं। इटावा में सपा ने करीब 58 हजार वोट से जीत दर्ज की।
अन्य महत्वपूर्ण सीटें
कन्नौज में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 1.70 लाख मतों से जीते। फिरोजाबाद में सपा के अक्षय प्रताप यादव ने भाजपा प्रत्याशी को करीब 89 हजार वोट से हराया। एटा में सपा के देवेश शाक्य ने भाजपा के राजवीर सिंह राजू को करीब 25 हजार वोटों से हराया। फर्रुखाबाद में भाजपा के मुकेश राजपूत ने तीसरी बार जीत दर्ज की।
2004 के बाद ऐतिहासिक प्रदर्शन
सपा ने 2004 के लोकसभा चुनाव में 35 सीटें जीती थीं जो इनका चुनावों में अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन रहा था, लेकिन इन लोकसभा चुनावों में इस बार सपा ने अपने उस प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया। अखिलेश यादव के नेतृत्व में इस बार सपा नें 37 सीटें जीतकर नई ऊंचाइयों को छू लिया है।