World elder abuse awareness day 2011 से हर साल 15 जून को मनाया जाता है। यह दिन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हमारे समाज में वृद्धों को आदर की दृष्टि से देखा जाता है । लेकिन बदलते समाज के साथ उनकी स्थिति में परिवर्तन हो रहा है। इस दिन को मनाने का महत्व यह है कि हम वृद्धों पर आपातकाल में होने वाली परेशानियों पर नजर डालें। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र संघ के महासभा द्वारा पारित किया गया था।
Technical group on Population project for India and state (2011-2031) की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत में लगभग 138 मिलियन वृद्ध नागरिक हैं जिनमें 67 मिलियन पुरुष और 71 मिलियन स्त्रियां हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक यह आंकड़ा 360 मिलियन पहुंच जाएगा।
World elderly abuse awareness day 2024 का थीम
इस वर्ष का World elder abuse awareness day 2024 का थीम है कि आपातकाल स्थिति में हम कैसे बूढ़े लोगों पर ध्यान दें।”Spotlight on the elder in Emergencies”
जब कभी कहीं पर बाढ़ प्राकृतिक आपदा या फिर युद्ध की समस्या होती है तो हम प्राथमिकता बच्चों को देते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ हमें यह भी याद रखना चाहिए कि बढ़ती उम्र के साथ-साथ मनुष्य के मानसिक और शारीरिक स्तर पर बदलाव आते हैं।
World elder abuse awareness day 2024 की महत्ता
- यह थीम इस बात पर जोर देता है कि हम त्रासदी या किसी दुर्घटना के दौरान किस तरह से बूढ़े लोगों को सुरक्षा प्रदान करें। यह थीम किसी भी देश के सरकार, अंतरराष्ट्रीय दाताओं, संगठन और समुदाय के लोगों को याद दिलाता है कि हमें उनकी सुरक्षा के लिए पहले से ही रणनीति तय कर लेनी चाहिए।
- वृद्ध लोगों में अक्सर देखा जाता है कि उनकी शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं होती है। उन्हें गंभीर बीमारियों से घिरे होने का खतरा होता है। ऐसे में यह दिन लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।
- World elder abuse awareness day इसलिए भी महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों को अनौपचारिक तौर पर शिक्षा देता है। यह लोगों को बताता है कि किस प्रकार आपातकाल में बचाव करना है।
लोगों को इन बात पर ध्यान देना चाहिए कि आपातकाल के दौरान वृद्ध लोगों को किस प्रकार मोबिलिटी इश्यू के साथ-साथ आर्थिक और मानसिक तौर पर कठिनाई का सामना करना पड़ता है। हम लोगों में जागरूकता फैलाते हैं। इस तरह से हम एक समावेशी और सुरक्षित पर्यावरण का निर्माण कर सकते हैं।
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क्या कहते हैं आंकड़े
- ऐसा माना जा रहा है कि 2019 से 2030 के बीच 60 साल या फिर इससे ऊपर के लोगों की संख्या 38% तक बढ़ सकती है। वैश्विक तौर पर यह संख्या एक बिलियन से 1.4 बिलियन तक हो जाएगी जो कि युवाओं से भी ज्यादा है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह संख्या तेजी से विकासशील देशों में बढ़ेगी। ऐसे में इससे होने वाले कठिनाइयों और चुनौतियों पर हमें ध्यान देना चाहिए।
- वैश्विक तौर पर देखा जाए तो 60 या इससे ऊपर के उम्र वाले लोगों की मृत्यु कॉविड-19 महामारी के दौरान 82 % तक थी।
- बूढ़े लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार मानवाधिकार के खिलाफ है। यह समस्या विकसित और विकासशील दोनों ही देशों में देखी जा सकती है। केवल विकसित देशों में 10% मामले ऐसे हैं जिसमें इनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। यह सामाजिक और नैतिक तौर पर गलत है।
- कभी-कभी सांस्कृतिक तौर पर भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। जैसे की दुनिया के किसी समाज में वृद्ध विधवाओं की जबरदस्ती शादी करवा दी जाती है तो कहीं उन्हें अंधविश्वास के जाल में फंसा दिया जाता है।
- प्रत्येक वर्ष 60 या उससे ऊपर के उम्र वाले 6 में से एक के लोग को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
- इनके साथ दुर्व्यवहार गंभीर शारीरिक छोटों के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी प्रभाव डालता है।
- इस समस्या पर ध्यान देना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बहुत सारे देशों में लोगों की उम्र तेजी से बढ़ रही है।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे हमारा दिमाग काम करना कम कर देता है। ऐसे में यह हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता पर भी असर डालता है। अल्जाइमर, डिमेंशिया जैसे रोगों के होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए रुकावट आने लगती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इस कार्यक्रम की जागरूकता को बढ़ाएं रखने के लिए Combatting Ageism नाम का कैंपेन चलाया गया है।
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