आज है विश्व दुग्ध दिवस( World Milk Day 2024 )।दूध का नाम सुनते ही बच्चे मुंह बनाते हैं, लेकिन यह दूध पौष्टिक आहार से युक्त है। विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day 2024) प्रत्येक वर्ष 1 जून को मनाया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने 2001 में घोषित किया था। पहले दुनिया में इसी दिन अलग-अलग देशों में यह दिवस मनाया जाता था। इसीलिए उसने संपूर्ण विश्व के लिए दुग्ध दिवस घोषित कर दिया।
World Milk Day 2024 दूध को एक वैश्विक भोजन बनाने के फायदे और डेयरी किसानों की जिंदगी में महत्व को समझाने में मदद करता है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि यहां डेयरी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के विकास और न्यूट्रिशंस को दुनिया तक पहुंचाये।
आईए जानते हैं World milk Day 2024 के बारे में
जमैका डेयरी विकास बोर्ड ने 30 में 2024 को इस दिन के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रम को होस्ट कर रहा था। इस बोर्ड ने डेयरी उद्योग की संरचना, जागरूकता अभियान, दुग्ध वितरण समारोह और डेयरी फार्म को विकसित करना जैसे आदि कार्यक्रम करवाए।
थीम
World Milk Day 2024 का थीम है कि दुनिया को गुणवत्ता वाले दूध की डिलीवरी करना। इस दिन यह कार्यक्रम करने से दुग्ध उत्पादन , लोगों के स्वास्थ्य और आर्थिक व्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उद्देश्य
World Milk Day 2024 का उद्देश्य है कि लोगों का ज्ञान दूध के पौष्टिक आहार और संतुलित आहार की ओर खींचे ताकि लोग स्वस्थ हो सके। अगर लोग स्वस्थ होंगे तो वह इकोनॉमी में भी अपना योगदान दे पाएंगे।
- भारत की वैल्यू बढ़ाना
- आर्थिक प्रभाव
- सांस्कृतिक प्रभाव
विश्व दुग्ध दिवस(World Milk Day 2024) का प्रभाव
जागरुक करना
विश्व दुग्ध दिवस की प्रसिद्धि और पहुंच बढ़ गई है। दूध के उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है। जब से यह दिवस मनाया जाता है लोग इसके बारे में और जागरुक हो गये हैं। लोग भोजन में दूध को शामिल करने लगे हैं।
नए ट्रेंड को अपनाना
इन प्रयासों से इसने कई यंत्रों की आधुनिकता को अपनाया है। इसने जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबिलिटी जैसे वैश्विक ट्रेंड को भी अपनाया है। इन प्रयासों से केवल इनमें बढ़ोतरी नहींहुई है बल्कि पर्यावरण के अनुकूल डेयरी फार्म के प्रयोग भी बढ़े हैं।
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भारत का विश्व भर में दूध उत्पादन
2023 के आंकड़ों से पता चलता है कि विश्व भर में लगभग 532 मिलियन मीट्रिक टन भारत दूध उत्पादन करता है। भारत विश्व भर में लगभग 22 % तक दूध का उत्पादन अकेले करता है। गाय का दूध उत्पादित करने में भारत पहले स्थान पर है। इसके बाद अमेरिका, चीन ,पाकिस्तान और ब्राजील जैसे देश शामिल हैं।
विकासशील देशों में दूध का उत्पादन तो बढ़ा है ,लेकिन कुछ कठिनाइयां जैसे पशु रोग, खराब गुणवत्ता वाले चारे और बाजार की पहुंच आदि का सामना ऐसे देशों को करना पड़ता है।
विकसित देशों ने डेरी उत्पादन के सिस्टम में आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया है। न्यूजीलैंड, अमेरिका और कुछ यूरोपियन देश जैसे जर्मनी और फ्रांस ने इस दिशा में उन्नत प्रयास किए हैं।
भारत में दूध का उत्पादन
- भारत ने 2024 में 330 मिलियन टन तक दूध का उत्पादन किया है ऐसा कर वहां विश्व भर में अपनी पोजीशन बनाने में सफल रहा है।
- भारत सरकार ने दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए निम्न योजना या पहल को चालू किया है।जैसे राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय लिवस्टाॅक मिशन और AHIDF
- कुछ प्रयास कर पशु रोगों को रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया है। सरकार ने मिल्क प्रक्रिया प्रोडक्ट को 40% तक बढ़ाने की योजना तैयार की है। अभी के लिए यह आंकड़ा 20 से 25% तक ही है।
- कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत विश्व भर में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करता है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
भारत में दुग्ध उद्योग
श्वेत क्रांति ने भारत में दूध के उत्पादन की दशोदिशा ही बदल दी थी। 1970 में शुरू होने वाला यह कैंपेन डॉ. वर्गीज कुरियन ने चलाया था। उन्होंने यह कार्यक्रम नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड(NDDB) के साथ मिलकर चलाया था। इसे “ऑपरेशन फ्लड” के नाम से भी जाना जाता है। इसने दूध के उत्पादन की संख्या को बदल दिया । आधुनिक डेयरी फार्मिंग , मार्केटिंग और वितरण संबंधी प्रणाली को दुरुस्त कर दिया।
श्वेत क्रांति के जनक कुरियन
डॉ वर्गीज कुरियन को “श्वेत क्रांति का जनक” भी कहा जाता है। उनका जन्म 26 नवंबर 1921 ई. को हुआ था। उन्होंने ही Gujrat Co-operative Milk Marketing Federation (GCMMF) की स्थापना की थी। आज भारत का सबसे बड़ा दूध का ब्रांड AMUL इन्हीं की देन है। उनके कार्य की वजह से उन्हें पद्म विभूषण भी मिला। उनकी मृत्यु 9 सितंबर 2012 को हो गई।