आज है World No Tobacco Day( विश्व तंबाकू निषेध दिवस)। हर साल 31 मई को यह दिन मनाया जाता है। 1980 के दशक में सबसे पहले इसे प्रस्तुत किया था। इस साल का थीम है “Protecting the children from Tobacco industry interference”। मतलब की बच्चों को तंबाकू इंडस्ट्री के हस्तक्षेप से बचाना। आंकड़ों के अनुसार 60 लाख से ज्यादा लोग तंबाकू की इंडस्ट्री में काम करते हैं ऐसी जगह पर उन लोगों की जान खतरे में है क्योंकि तंबाकू को बनाते समय Tobacco सांस के माध्यम से मजदूरों के शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
दुनिया में तंबाकू से होने वाली मौतों और बीमारियों को रोका जा सकता है। तंबाकू सिर्फ उन लोगों को ही नुकसान नहीं पहुंचाती है जो इसका सेवन करते हैं। बल्कि उन्हें भी नुकसान पहुंचाती है जो इन्हें उगाते हैं। चीन के बाद भारत दुनिया का ऐसा दूसरा बड़ा देश है जहां पर सबसे ज्यादा तंबाकू का सेवन किया जाता है। 2016- 17 में यह आंकड़ा लगभग 26 करोड़ के आसपास था।
तंबाकू का हानिकारक प्रभाव
पर्यावरण पर प्रभाव
तंबाकू(Tobacco)का हानिकारक प्रभाव इंसान के स्वास्थ्य के अलावा और भी दूसरी चीजों पर पड़ता है। तंबाकू एक ऐसा हानिकारक फसल है जो कि मिट्टी की उर्वरता को खत्म कर देता है। इसे उगाने के लिए फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल करना पड़ता है। इसे उगाने के लिए डिफोरेस्टेशन भी करना पड़ता है। मतलब कि अगर हमें 1 किलोग्राम तंबाकू को उगाना है तो उसके लिए हमें लगभग 5.30 किलोग्राम की लकड़ी को काटना पड़ेगा।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इसके अलावा यह अर्थव्यवस्था पर भी असर डालता है। तंबाकू को उगाने और इसे बनाने में लगभग 1.7 लाख टन का वेस्ट हर साल भारत में निकलता है। इस वेस्टेज को खत्म करने के लिए कुल मिलाकर 6367 करोङ रुपए खर्च होते हैं। कैंसर जैसे रोगों के लिए सरकार को स्वास्थ्य पर 2021 के बजट में 48000 करोड रुपए देने पड़े थे। ऐसे में पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
तंबाकू का सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं।American Lung association के अनुसार तंबाकू के सेवन से फेफड़े का कैंसर, सीओपीडी यानी सांस लेने में समस्या, हृदय रोग,अस्थमा, हार्ट स्ट्रोक ,महिलाओं में प्रजनन से संबंधित समस्या ,अंधापन और मोतियाबिंद आदि रोग हो सकते हैं।
भारत में तंबाकू को उपयोग करने की स्थिति
Global Youth Tobacco Survey(GYTS), Global Adult Tobacco Survey (GATS)और National Family Health Survey (NFHS) भारत में तंबाकू के उपयोग करने की स्थिति पर नजर बनाए रखते हैं। GYTS का काम होता है कि वह 13 से 15 साल के बीच के बच्चों पर सर्वे करती है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार 2003 में 18% 13 से 15 साल के बीच के बच्चे तंबाकू का इस्तेमाल करते थे, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 8% हो गया।जो कि एक अच्छी बात है।
GATS और NHFS 15 साल से ऊपर के लोगों और बच्चों पर सर्वे करते हैं। NFHS(2019-21) की रिपोर्ट के अनुसार 15 साल से ऊपर के 38 % बच्चों में तंबाकू को यूज करते हुए पाया गया है । यही आंकड़ा 2015 में 46% था। पहले के मुकाबले इसका सेवन करने वाले लोगों में गिरावट आई है।
महिलाओं में यह बिल्कुल उल्टा है।NHFS (2019-21) की रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 के मुकाबले 2019 में 2.1% तक इनका आंकड़ा बढ़ा है।कॉविड-19 के बाद कोई भी सर्वे रिपोर्ट जारी नहीं हुई है।
जागरूकता और कंट्रोल प्रोग्राम
- भारत उन 168 देशों में से एक है जिसने WHO का Framework Convention and Tobacco Control(FCTC ) पर साइन किया था। यह प्रोग्राम 2005 में लॉन्च किया गया था। इस प्रोग्राम का उद्देश्य था कि तंबाकू के सेवन को पूरे दुनिया में कम करना।
- उद्योग ऐसे उत्पाद और विज्ञापन रणनीतियाँ भी विकसित करता है जो बच्चों और किशोरों को आकर्षित करती हैं, और सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उन तक पहुँचती हैं।तंबाकू के एडवरटाइजमेंट और व्यापार को कंट्रोल करने के लिए 1975 में कानून लाया गया था। The cigerattes and Other Tobacco Products Act (COTPA) कानून 2003 में लागू हुआ था। इस कानून में कुल मिलाकर 33 धाराएं थीं।
- यह धाराएं तंबाकू के उत्पादन,विज्ञापन, वितरण और उनके सेवन को कंट्रोल करने के लिए लाई गई थीं। लेकिन सेरोगेट एडवरटाइजिंग के कारण अभी भी इसका कारोबार चल रहा है। कभी इलायची के नाम पर तो कभी सोडा के नाम पर नशीले पदार्थों को बेचा जाता है। सेरोगेट एडवरटाइजिंग में ब्रांड का नाम उसे करके एक प्रोडक्ट को दिखाया जाता है और उसे दूसरी जगह वही ब्रांड तंबाकू से बने प्रोडक्ट को मैन्युफैक्चर करती है।
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- (COTPA) कानून में अप्रत्यक्ष एडवरटाइजिंग का कोई भी जिक्र नहीं है। ऐसे में इनका प्रचार भी हो जाता है और कारोबारी बच जाते हैं। अभी हाल ही में एक तंबाकू कंपनी पर लगभग ₹5000 का जुर्माना लगा था। आज महंगाई बढ़ चुकी है।जीडीपी ग्रोथ बढ़ रही है। लेकिन अभी तक यह फाइन नहीं बढ़ा है। हालांकि 2015 और 2020 में सुधार करने के लिए प्रस्ताव रखा गया था। 2020 में प्रस्तावित किया गया था कि इसके प्रोडक्शन ,सप्लाई और वितरण के लिए लाइसेंस जरूरी है लेकिन यह बिल अभी तक पास नहीं हुआ है।
- इसके अलावा भारत ने नेशनल तंबाकू कंट्रोल प्रोग्राम(NTCP) 2007 में लॉन्च किया था। इसका काम था कि यह लोगों को तंबाकू के उपयोग के बारे में जागरूक करे। उन्हें इनका इस्तेमाल करने से रोके।
- इन सब के अलावा टैक्स भी इसे रोकने का एक विकल्प है। WHO’s FCTC के अनुसार तंबाकू और तंबाकू से बने प्रोडक्ट्स पर लगभग 75% का टैक्स लगना चाहिए। Rijo M. John ने बताया कि भारत में सिगरेट पर 51% बीड़ी पर 22% और आदर प्रोडक्ट्स पर 64% तक टैक्स लगता है। John एक इकोनॉमिस्ट हैं। वह तंबाकू नीतियों पर विश्लेषण का काम करते हैं।
- 2021 में journal BMJ Tobacco Control की स्टडी के अनुसार सिगरेट ,बीङी और दूसरे नशीले पदार्थों की कीमत इन 10 सालों में वैसा का वैसा ही है।
कानून को लागू करने में सरकार की भूमिका
2022 में एक रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर गॉडफ्रे फिलिप्स का स्वतंत्र निदेशक बन जाता है। भारत की सबसे बड़ी तंबाकू कंपनी आईटीसी लिमिटेड में केंद्रीय सरकार का 7.8% तक हिस्सेदारी है। भारत की तंबाकू हस्तक्षेप तालिका में भारत का स्कोर 58 है। तंबाकू हस्तक्षेप तालिका यह देखती है कि उस देश की सरकार किस तरह से तंबाकू को मिटाने के लिए सभी कन्वेंशन का पालन कर रही है। भारत का यह स्कोर दिखाता है कि भारत सरकार इसे कंट्रोल करने में असक्षम है।
कानून को ला तो दिया गया है लेकिन उन्हें लागू करने के लिए एक बेहतर प्रशासन की जरूरत पड़ेगी। जब प्रशासन ही इस काम में शामिल हो तो कौन इसे लागू करेगा?
Tobacco के उत्पादन को कम करने का तरीका
- FCTC,NTCP और PECA( Prohibition of Electronic Cigeratte Act 2019) जैसे कंट्रोल प्रोग्राम और फ्रेमवर्क तंबाकू का उत्पादन रोकने के लिए तो ला दिये गए हैं लेकिन इन्हें और भी स्ट्रिक्टली लागू करवाना चाहिए।
- तंबाकू से बने प्रोडक्ट्स पर टैक्स को बढ़ा देना चाहिए। यह टैक्स महंगाई और जीडीपी ग्रोथ के समानांतर होने चाहिए।
- सरकार की सहायता से यह संभव हो सकता है कि हम तंबाकू उगाने वाले किसानों को किसी दूसरे फसल की ओर मोड़ दें। केंद्रीय तंबाकू अनुसंधान केंद्र के अनुसार तंबाकू को उगाने में नेट रिटर्न /रुपया 1.48 आता है, जो कि ज्वार (1.84) के पैदावार से बहुत कम है।
- यह भी जरूरी है कि सर्वे और रिपोर्ट्स लगातार आते रहें। कॉविड-19 के बाद से NFHS,GYTS और GATS की रिपोर्ट नहीं आई है। अगर हमें इस इंडस्ट्री को टक्कर देनी है और तंबाकू के उत्पादन को कम करना है तो हमें ताजा डाटा और आंकड़ों की जरूरत है।वरना हम इससे कभी भी नहीं लड़ पाएंगे।