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किसानों का ऐलान: ट्रैक्टर-ट्रालियों के बिना दिल्ली नहीं जाएंगे, शंभू बॉर्डर पर बना रहेगा डेरा

News Desk
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले, पंजाब और हरियाणा के उच्च पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने बुधवार को पटियाला के पुलिस लाइन में किसान संगठनों के साथ शंभू बॉर्डर खोलने को लेकर एक बैठक की। लगभग एक घंटे चली इस बैठक में कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी, क्योंकि किसानों ने साफ कर दिया कि वे बिना ट्रैक्टर-ट्रालियों के दिल्ली नहीं जाएंगे।

प्रशासन की अपील और किसानों का जवाब

बैठक में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को हो रही असुविधा का हवाला देते हुए शंभू बॉर्डर को खोलने की अपील की। उन्होंने मोटर व्हीकल एक्ट का जिक्र करते हुए किसानों से कहा कि अगर वे अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार से बात करना चाहते हैं, तो उन्हें ट्रैक्टर-ट्रालियों के बिना दिल्ली जाना होगा। लेकिन किसान नेताओं ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि ट्रैक्टर-ट्रालियां उनके लिए दूसरे घर के समान हैं। इन ट्रैक्टर-ट्रालियों ने हर मौसम में किसानों का साथ दिया है, इसलिए उनके बिना दिल्ली जाने का सवाल ही नहीं उठता।

पहले भी ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ आए थे किसान

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बैठक के बाद बताया कि जब 13 फरवरी को पंजाब के कोने-कोने से किसान शंभू और खन्नौरी बॉर्डर पर पहुंचे थे, तब भी वे ट्रैक्टर-ट्रालियों पर ही आए थे। उस समय भी कानून व्यवस्था में कोई दिक्कत नहीं हुई थी। किसानों का कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जाना चाहते हैं, लेकिन ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ ही।

केंद्र सरकार पर किसानों की नाराज़गी

डल्लेवाल ने कहा कि किसान हमेशा से ही केंद्र सरकार से बातचीत के लिए तैयार रहे हैं। लेकिन पहले चुनाव आचार संहिता का बहाना बनाकर सरकार ने बात करने से बचने की कोशिश की, और अब जून में नई सरकार बनने के बाद भी कोई संवाद स्थापित नहीं किया गया है। इससे सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसान तब तक बॉर्डर पर डटे रहेंगे जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। रास्ते खुलते ही, वे अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दिल्ली के लिए कूच करेंगे।

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