
नई दिल्ली। भारतीय सेना के बहादुरी के किस्से अनगिनत हैं। सीमाओं पर डट कर देश की रक्षा करने वाले जवानों में से कई ने अपनी जानें कुर्बान की हैं। आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक जांबाज जवान, कैप्टन अंशुमन सिंह की, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने साथियों की जान बचाई। उनके इस अद्वितीय बलिदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से नवाजा है। यह सम्मान उनकी पत्नी और मां ने प्राप्त किया।
सियाचिन में थी तैनाती
कैप्टन अंशुमन सिंह जुलाई 2023 में शहीद हो गए। वे सियाचिन ग्लेशियर में 26 पंजाब बटालियन के 403 फील्ड अस्पताल में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात थे। 19 जुलाई 2023 की सुबह करीब साढ़े तीन बजे, भारतीय सेना के गोला-बारूद बंकर में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी। आग ने कई टेंटों को भी चपेट में ले लिया था, जिससे कई जवान बंकर में फंस गए थे।
अपने साथियों की जान बचाने के लिए कैप्टन अंशुमन सिंह बिना किसी हिचकिचाहट के बंकर में कूद पड़े। अपनी जान की परवाह किए बिना, उन्होंने तीन जवानों को सुरक्षित बाहर निकाला। हालांकि, इस हादसे में अंशुमन बुरी तरह से झुलस गए थे। उन्हें एयरलिफ्ट कर इलाज के लिए चंडीगढ़ लाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और वे शहीद हो गए।
देवरिया के थे कैप्टन अंशुमन सिंह
कैप्टन अंशुमन सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रहने वाले थे। उनका घर लार थाना क्षेत्र के बरडीहा दलपत में था, हालांकि उनका परिवार वर्तमान में लखनऊ में रहता था। हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया, जो कि उनकी मां और पत्नी ने प्राप्त किया।
इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद, उनकी पत्नी ने भी उनकी वीरता के बारे में जानकारी दी। उनका यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिससे एक बार फिर से अंशुमन सिंह की बहादुरी चर्चा में आ गई है।
कैप्टन अंशुमन सिंह की यह कहानी न केवल हमें गर्व का अहसास कराती है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाती है कि हमारे सैनिक किस प्रकार अपने कर्तव्य को निभाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं, चाहे उनकी जान पर ही क्यों न बन आए।
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