
पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत अब शिक्षा के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करेगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर उन्होंने बताया कि भारत में उच्च शिक्षा के लिए अब सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं, और नालंदा विश्वविद्यालय को भी दुनिया भर में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त करना है।
नालंदा विवि का गौरव
पीएम मोदी ने कहा कि नालंदा की यह धरती विश्व बंधुत्व की भावना को नया आयाम दे सकती है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान का उपयोग समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करें और बेहतर भविष्य का निर्माण करें। “नालंदा का गौरव भारत का गौरव है,” उन्होंने कहा। उनके अनुसार, भारत का युवा वर्ग आने वाले 25 सालों में देश का नेतृत्व करेगा और पूरे विश्व को नई दिशा दिखाएगा।
भारत की पहचान फिर से दुनिया के ज्ञान के केंद्र के रूप में हो
पीएम मोदी ने उल्लेख किया कि 21 जून को विश्व योग दिवस है और भारत ने योग और आयुर्वेद को पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाया है। उन्होंने कहा, “हम प्रगति और पर्यावरण को एकसाथ लेकर चलने का प्रयास कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने दुनिया को ‘मिशन लाइफ’ जैसा विजन दिया है, जिससे सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
शिक्षा सीमाओं से परे है
पीएम मोदी ने कहा कि नालंदा का अर्थ है कि जहां शिक्षा और ज्ञान का अविरल प्रवाह हो। उन्होंने बताया कि नालंदा में 20 से अधिक देशों के छात्र पढ़ते थे और यहां एडमिशन उनकी पहचान और राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं होता था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा सीमाओं से परे है और नफा-नुकसान के नजरियों से भी परे है।
नालंदा का पुनर्जागरण
पीएम मोदी ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत करने जा रही है। “पुस्तकें भले ही जल जाएं, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं,” उन्होंने कहा। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में एशिया के कई देशों की विरासत को जोड़ते हुए इसे एक वैश्विक धरोहर बताया।
सीएम नीतीश कुमार रहे शामिल
सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी का स्वागत करते हुए कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि आप पहली बार यहां आए। उन्होंने राजगीर के महत्व के बारे में भी चर्चा की, जिसे दुनिया के पांच धर्मों का संगम स्थल माना जाता है। उन्होंने बताया कि सिख धर्म के गुरु नानकदेव, मुस्लिम धर्म के महान संत मखदूम साहब, और हिंदू धर्म के मलमाल मेले का आयोजन यहां होता है।
नालंदा विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक महत्व
नीतीश कुमार ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की पहचान ज्ञान के केंद्र के रूप में रही है। पहले यहां 15 हजार छात्र पढ़ते थे और चीन, जापान, श्रीलंका सहित अन्य देशों के लोग यहां आकर पढ़ते थे। 12वीं सदी में यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था। मार्च 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इसे पुनः स्थापित करने की बात कही थी।
नए नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया, जो 455 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें कुल 221 संरचनाएं हैं। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 19 सितंबर 2014 को इसके निर्माण की नींव रखी थी। आर्किटेक्ट बीबी जोशी ने नालंदा विश्वविद्यालय के प्रारूप को डिजाइन किया है।
भारत का सामर्थ्य
पीएम मोदी ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना भारत के सामर्थ्य का परिचय देगी। “यह केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है, बल्कि इसमें एशिया के कई देशों की विरासत जुड़ी हुई है,” उन्होंने कहा। इस कार्यक्रम में उपस्थित मित्र देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारा साझा प्रयास दुनिया की नई प्रगति को दिशा देगा।
नालंदा विवि के महत्व को जानिए
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास और इसका महत्व आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। पुराने विश्वविद्यालय के खंडहर आज भी जस के तस हैं, जो इसकी महिमा और ज्ञान की विरासत को प्रमाणित करते हैं। नए नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन इस धरोहर को फिर से जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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