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Indore Results: इंदौर ने बनाया दोहरा रिकॉर्ड, नोटा को दो लाख वोट तो लालवानी बढ़े सबसे बड़ी जीत की ओर

News Desk
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इंदौर में बना दोहरा रिकॉर्ड

भोपाल। इंदौर लोकसभा चुनाव परिणाम में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसर हैं। शंकर लालवानी 11 लाख वोटों की बढ़त के साथ देश की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाने की ओर हैं। इसके साथ ही, इंदौर में नोटा को दो लाख से अधिक वोट मिले हैं, जो देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

गौरतलब है कि कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने चुनाव से ठीक पहले अपना नामांकन वापस ले लिया था, जिसके चलते कांग्रेस इंदौर में चुनाव नहीं लड़ पाई। कांग्रेस ने जनता से अपील की थी कि वे नोटा पर वोट दें और अपना विरोध दर्ज करें। शंकर लालवानी की इस बढ़त ने 2019 में गुजरात के नवसारी सीट पर भाजपा के सीआर पाटिल की 6,89,668 वोटों से जीत के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है।

नोटा का रिकॉर्ड

इंदौर ने इस बार देश में सबसे अधिक नोटा वोट का रिकॉर्ड बना दिया है। नोटा को एक लाख से अधिक वोट मिल चुके हैं। वर्तमान में देश में सबसे ज्यादा नोटा का रिकॉर्ड बिहार के गोपालगंज के नाम है, जहां 2019 के चुनाव में 51,660 नोटा वोट पड़े थे। इस बार इंदौर इस रिकॉर्ड को तोड़ सकता है। शंकर लालवानी की बढ़त और नोटा की संख्या ने इंदौर को इस चुनाव में दोहरे रिकॉर्ड के साथ एक महत्वपूर्ण स्थान पर ला खड़ा किया है।

नोटा (NOTA) क्या है?

नोटा (NOTA) का पूर्ण रूप “None of the Above” है, जिसका हिंदी में मतलब “इनमें से कोई नहीं” होता है। यह विकल्प उन मतदाताओं के लिए होता है जो चुनाव में खड़े सभी उम्मीदवारों में से किसी को भी चुनना नहीं चाहते।

मतदाता NOTA का चयन करके यह संदेश दे सकते हैं कि वे चुनाव में शामिल किसी भी उम्मीदवार को स्वीकार नहीं करते हैं। यह एक प्रकार से मतदाताओं का विरोध दर्ज करने का तरीका है। भारत में, NOTA का विकल्प पहली बार 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लागू किया गया था। इसका उद्देश्य मतदाताओं को एक सकारात्मक चुनावी विकल्प प्रदान करना था ताकि वे अपनी असहमति या असंतोष को व्यक्त कर सकें।

NOTA वोटों की गिनती होती है, लेकिन यह चुनाव के परिणाम पर असर नहीं डालती है। यानि, NOTA के लिए डाले गए वोट किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में नहीं गिने जाते हैं और NOTA का सबसे अधिक वोट प्राप्त करना भी चुनाव परिणाम को प्रभावित नहीं करता है। फिर भी, यह एक महत्वपूर्ण साधन है जिससे मतदाता अपनी स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।

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