
सूरजपाल से भोले बाबा बनने का सफर महज ढाई दशक पुराना है, लेकिन इस दौरान उन्होंने अध्यात्म के माध्यम से लाखों भक्तों के बीच अपनी पहचान बनाई। बाबा का पहला आश्रम उनके जन्मस्थान बहादुर नगर पटियाली में 1999 में स्थापित हुआ था। यह आश्रम इतना विशाल है कि यहां हजारों भक्तों के रहने और सत्संग में शामिल होने के इंतजाम हैं। आज, बाबा के आश्रम मैनपुरी, राजस्थान, मध्यप्रदेश और अन्य स्थानों पर भी स्थित हैं, जहां बाबा सत्संग करते हैं और भक्तों के बीच रहते हैं।
भोले बाबा का पारिवारिक जीवन और ट्रस्ट

भोले बाबा तीन भाई और तीन बहनों के साथ पले-बढ़े हैं। उनके बड़े भाई भगवानदास की 2016 में मृत्यु हो गई थी, जबकि छोटे भाई राकेश गांव के प्रधान रह चुके हैं और बाबा के साथ रहते हैं। बाबा ने अपने घर, मकान और आश्रम का एक ट्रस्ट बना रखा है, जिसका नाम श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट है। पहले यह ट्रस्ट मानव सेवा आश्रम के रूप में चलाया जाता था, लेकिन 2023 में इसका नाम बदल दिया गया।
आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत
भोले बाबा की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत तब हुई जब वे सिविल पुलिस में सिपाही के रूप में तैनात थे। उन्होंने इटावा और आगरा में अपनी नौकरी के दौरान अचानक नौकरी छोड़ दी और अध्यात्म की राह पर चल पड़े। बाबा की बहन सोनकली का दावा है कि नौकरी के दौरान ही बाबा को कुछ सिद्धि प्राप्त हो गई थी, जिसके कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अध्यात्मिक जीवन जीने लगे।
भक्तों की आस्था और चमत्कार
भोले बाबा के भक्तों का विश्वास है कि बाबा के आश्रम की मिट्टी और पानी में चमत्कारिक गुण हैं। भक्त इन वस्तुओं को अपने घरों में प्रसाद के रूप में लेकर जाते हैं और उन्हें सोना और अमृत मानते हैं। बाबा के भक्तों का मानना है कि उनके पास चमत्कारिक शक्तियां थीं, जिनके कारण लोग दूर-दूर से उनके पास आते थे और लाभान्वित होते थे।
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विवाद और प्रशासनिक जांच
एएसपी राजेश कुमार भारती ने बताया कि बाबा के बारे में और जानकारियां जुटाई जा रही हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बाबा ने नौकरी छोड़ी थी या उन्हें बर्खास्त किया गया था। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि बाबा के आश्रम पर भगदड़ में 121 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जिनमें से 106 यूपी के 17 जिलों के निवासी थे और छह अन्य राज्यों के निवासी थे।
भोले बाबा की सिद्धि और चमत्कार की कहानियां
भोले बाबा के चमत्कारिक किस्से उनके भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। उनकी बहन का दावा है कि बाबा अंगुली पर चक्र चलाते थे और चमत्कार दिखाते थे। इसीलिए, दुनिया भर से लोग उनके पास आते थे। आज के पढ़े-लिखे समाज में भी यदि कोई लाभ नहीं होता, तो लोग उनके पास क्यों आते?
सुरक्षा के इंतजाम और श्रद्धालुओं की भीड़
हाथरस के सिकंदराराऊ में भगदड़ के दौरान हुई 121 श्रद्धालुओं की मौत ने प्रशासन को सचेत कर दिया है। इसलिए, अब बाबा के आश्रमों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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