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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मुस्लिम महिला भी तलाक के बाद मांग सकती है पति से गुजारा भत्ता

News Desk
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 मुस्लिम महिला भी तलाक के बाद मांग सकती है पति से गुजारा भत्ता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं। इस फैसले ने महिलाओं के अधिकारों को और सशक्त किया है, जिससे उन्हें न्याय मिलने का रास्ता साफ हुआ है। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बारे में विस्तार से।

क्या है पूरा मामला?

तेलंगाना हाई कोर्ट ने एक मुस्लिम युवक को अंतरिम तौर पर अपनी पूर्व पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ युवक ने फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। युवक का कहना था कि इस मामले में गुजारा भत्ता मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 के प्रावधानों द्वारा शासित होना चाहिए, न कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत।

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सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मुस्लिम महिलाएं भी सीआरपीसी की ‘धर्म तटस्थ’ धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता मांगने की हकदार हैं। जस्टिस नागरथन और जस्टिस जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई करते हुए दो अलग-अलग लेकिन समान विचारधारा वाले फैसले दिए।

कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक भारतीय विवाहित पुरुष को यह समझना चाहिए कि अगर उसकी पत्नी आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं है, तो उसे अपने संसाधनों से उसकी मदद करनी होगी। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे प्रयास कमजोर महिलाओं की मदद करते हैं और ऐसे पति के प्रयासों को स्वीकार किया जाना चाहिए। इससे महिलाओं को सशक्तिकरण और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मिला है।

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