
नई दिल्ली। मोदी सरकार में बिहार को कोई अहम मंत्रालय नहीं मिलने पर सियासत गर्मा गई है। तेजस्वी यादव ने जहां इसे झुनझुना करार दिया, वहीं अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने खुलासा किया है कि आखिरकार नीतीश कुमार ने बड़ा मंत्रालय क्यों नहीं मांगा।
प्रशांत किशोर का बयान
प्रशांत किशोर ने बताया कि नीतीश कुमार को हम जितना जानते हैं, शायद आप लोग उतना नहीं जानते होंगे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जानबूझकर कोई बड़ा मंत्रालय नहीं मांगा क्योंकि उन्हें लगा कि यदि किसी को बड़ा मंत्रालय दिलवाया गया तो वह नेता उनके खिलाफ खड़ा हो सकता है। इसलिए उन्होंने ऐसा मंत्रालय मांगा जो काम करने लायक न हो और उसकी ज्यादा चर्चा भी न हो। यह खुलासा तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब इससे पहले आरसीपी सिंह को इस्पात मंत्रालय मिलने के बाद पार्टी में तोड़फोड़ के आरोप लगे थे। आरसीपी सिंह बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे नीतीश कुमार की पार्टी को बड़ा झटका लगा था।
नेता काम करे तो ही जिताइए, वर्ना कुर्सी से हटाइए
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में जनता को भी संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जो नेता काम करे, उसे ही दोबारा जिताइए। संविधान आपको अधिकार देता है कि जो नेता काम न करे, उसे तुरंत कुर्सी से हटा दें। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब नाली-गली के नाम पर वोट देना बंद कीजिए और अपने बच्चों के भविष्य की चिंता कीजिए। अगर बच्चे पढ़-लिख जाएंगे तो आपको गरीबी से निकाल लेंगे और फिर किसी नेता के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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बिहार की राजनीति में नया मोड़
प्रशांत किशोर के इस बयान से बिहार की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। उनके इस खुलासे से नीतीश कुमार की रणनीति और उनकी पार्टी के अंदर की राजनीति को लेकर नए सवाल उठने लगे हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी में आपसी खींचतान और शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार ने यह कदम उठाया।
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