
सावन के महीने में व्रत रखने वाले लोग फलाहार के लिए कई तरह के व्यंजन बनाते हैं, जैसे साबूदाना खिचड़ी, सिंघाड़े की पूड़ियां, पराठे, और पकोड़े। इन सबके लिए तेल का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन सवाल उठता है कि व्रत में कौन-सा तेल खाना चाहिए और कौन-सा नहीं?
व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इस पर लोगों की धारणाएं अलग हो सकती हैं। ऐसे में आपकी मदद के लिए शेफ रणवीर बरार ने कुछ सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि व्रत में तेल का चयन कैसे करना चाहिए और कौन से तेल से बने व्यंजन खाने चाहिए।
शेफ रणवीर बरार की सलाह
शेफ रणवीर बरार का कहना है कि यदि आप व्रत में मूंगफली खाते हैं, तो आप फलाहार बनाने के लिए मूंगफली के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप मूंगफली नहीं खाते हैं, तो घर पर बना शुद्ध घी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी प्रकार, बादाम या जैतून का तेल भी फलाहार में उपयोग किया जा सकता है।
रिफाइंड ऑयल से बचें
व्रत के दौरान रिफाइंड ऑयल का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है। रिफाइंड ऑयल कई बीजों जैसे मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी के बीजों से बनता है, और इसका स्मोकिंग पॉइंट काफी ऊंचा होता है, जिससे यह स्वस्थ वसा की सूची में नहीं आता है। व्रत में रिफाइंड ऑयल का सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि ब्लोटिंग और अपच।
इन तेलों का उपयोग ना करें
शेफ बरार ने बताया कि बीजों से बने तेल, जैसे सरसों का तेल, अलसी का तेल, और यहां तक कि देसी घी से बने व्यंजनों को व्रत के दौरान अवॉयड करना चाहिए। देसी घी का स्मोकिंग पॉइंट कम होता है, जिससे गर्म होने पर इसके पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। इसलिए, व्रत में स्वस्थ रहने के लिए इन तेलों से बने व्यंजनों का सेवन नहीं करना चाहिए।
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