रोहतक। पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर बुधवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक हफ्ते के भीतर शंभू बॉर्डर खोलने का आदेश दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पंजाब और हरियाणा सरकार को निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, खनौरी बॉर्डर पर किसान शुभकरण की मौत की जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच दल) बनाने का भी आदेश दिया गया है।
जनहित याचिका से आया फैसला
हाईकोर्ट के एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने शंभू बॉर्डर खोलने के लिए जनहित याचिका दायर की थी। शांडिल्य ने बताया कि नेशनल हाईवे 44 पिछले पांच महीने से बंद है, जिसके बाद से अंबाला के व्यापारी, दुकानदार और छोटे-बड़े रेहड़ी फेरी वाले भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। याचिका में मांग की गई थी कि शंभू बॉर्डर को तुरंत प्रभाव से खोला जाए। इस याचिका में पंजाब और हरियाणा सरकार के साथ किसान नेता स्वर्ण सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल को भी पार्टी बनाया गया था।
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एनएचएआई को हुआ भारी नुकसान
शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन के चलते भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को 108 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। 13 फरवरी 2024 को किसान आंदोलन के कारण शंभू टोल प्लाजा को बंद कर दिया गया था, जिसके बाद से अंबाला-लुधियाना राजमार्ग ठप पड़ा हुआ है।
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