
लखनऊ। नीट परीक्षा में हुई धांधली और यूजीसी नेट की परीक्षा रद्द करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदेश कांग्रेस ने शुक्रवार को सड़क पर जबरदस्त प्रदर्शन किया। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने प्रदेश मुख्यालय से विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की। लेकिन, पुलिस ने थोड़ी ही दूर पर बैरिकेडिंग कर सभी को रोक लिया।
छात्रों के हित में संघर्ष
प्रदर्शनकारी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना था कि नीट और यूजीसी नेट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में धांधली से लाखों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। उनका आरोप है कि सरकार और शिक्षा मंत्रालय ने इन परीक्षाओं की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में विफलता दिखाई है। इस दौरान कार्यकर्ता लगातार नारेबाजी कर रहे थे और सरकार के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार कर रहे थे।
पुलिस से तीखी नोकझोंक
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक हुई। अजय राय समेत कई नेता बैरिकेडिंग लांघकर आगे बढ़ने लगे, जिसके बाद पुलिस ने बलपूर्वक उन्हें रोकने की कोशिश की। इस प्रयास में पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की हुई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
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हिरासत में लिए गए अजय राय और अन्य नेता
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और अन्य पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया और उन्हें ईको गार्डन ले जाया गया। हिरासत में लिए जाने के दौरान भी कांग्रेस कार्यकर्ता छात्रों के हित में परीक्षा रद्द करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग करते रहे।
कांग्रेस की मांगें
कांग्रेस पार्टी ने इस प्रदर्शन के माध्यम से सरकार से मांग की कि नीट और यूजीसी नेट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में धांधली के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। पार्टी ने यह भी कहा कि छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन परीक्षाओं को फिर से आयोजित किया जाए। इसके साथ ही, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की है।
छात्रों का भविष्य दांव पर
इस प्रदर्शन ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे देश की परीक्षा प्रणाली सुरक्षित और पारदर्शी है? नीट और यूजीसी नेट जैसी परीक्षाओं में धांधली से लाखों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। यह सिर्फ कुछ विद्यार्थियों का मामला नहीं है, बल्कि यह देश के शिक्षा प्रणाली और उसकी साख पर एक गंभीर सवाल है।
सरकार की जिम्मेदारी
यह समय है कि सरकार और शिक्षा मंत्रालय इस मुद्दे को गंभीरता से लें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। सरकार को चाहिए कि वह इन परीक्षाओं की सुरक्षा और पारदर्शिता को प्राथमिकता दे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
आंदोलन का असर
कांग्रेस के इस आंदोलन ने छात्रों और उनके माता-पिता के बीच एक उम्मीद जगाई है कि शायद उनकी आवाज सुनी जाएगी और उन्हें न्याय मिलेगा। इस प्रदर्शन ने यह भी साबित कर दिया कि छात्रों के भविष्य के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
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