रेलवे की नई पहल: वंदे भारत स्लीपर ट्रेन जल्द होगी लॉन्च, वेटिंग टिकट की समस्या से मिलेगी निजात

News Desk
रेलवे की नई पहल: वंदे भारत स्लीपर ट्रेन जल्द होगी लॉन्च, वेटिंग टिकट की समस्या से मिलेगी निजातवंदे भारत स्लीपर ट्रेन
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नई दिल्ली: मोदी सरकार 3.0 के सभी मंत्रियों ने अपना कार्यभार संभाल लिया है और अब अगले कुछ महीनों में होने वाले कामों की समीक्षा की जा रही है। रेलवे के कई बड़े प्रोजेक्ट पूरे होने वाले हैं और इनमें सबसे महत्वपूर्ण है वंदे भारत की स्लीपर वर्जन ट्रेन, जो जल्द ही पटरियों पर दौड़ने लगेगी। जानकारी के अनुसार, अगले दो महीने के भीतर पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को ट्रैक पर चलाया जाएगा। साल 2029 से पहले 250 से 300 वंदे भारत ट्रेनें चलाई जाएंगी, जिनमें स्लीपर और नॉन-स्लीपर दोनों शामिल होंगी।

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की तैयारियां

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का काम अब अंतिम चरण में है और इसकी फिनिशिंग का काम तेजी से चल रहा है। रेलवे के अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों में बुलेट ट्रेन के लिए 310 किलोमीटर पटरियां बिछाई जा चुकी हैं और अंडरसी वॉटर का काम भी तेजी से चल रहा है। वंदे मेट्रो की बोगियों का निर्माण भी हो चुका है और इसका ट्रायल भी जल्द ही शुरू होने वाला है। वंदे मेट्रो की एक बोगी की लागत लगभग 11 करोड़ रुपये है, जबकि वंदे भारत की एक बोगी की लागत 8 करोड़ रुपये है।

कवच सिस्टम: रेलवे की सुरक्षा में एक नई क्रांति

रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कवच सिस्टम को भारतीय रेलवे के उपकरण के रूप में पेटेंट मिल चुका है। इस सिस्टम को ट्रेनों में लगाया जा रहा है, जिससे सुरक्षा में अभूतपूर्व सुधार होगा। कवच सिस्टम लगाने से पहले ट्रैक और स्टेशन पर डेटा सेंटर विकसित किया जा रहा है। अभी तक 6000 किलोमीटर पर कवच सिस्टम लगाए जा चुके हैं और 10 हजार किलोमीटर पर काम चल रहा है। इस सिस्टम को और ज्यादा डेवलप किया जा रहा है ताकि ट्रेनों की सुरक्षा और भी मजबूत हो सके।

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गर्मियों में स्पेशल ट्रेनें

इस बार गर्मियों में भारतीय रेलवे ने पहले की अपेक्षा दस गुना अधिक ट्रेनें चलाई हैं। छठ पर चार गुना अधिक ट्रेनें चलाई गई थीं और वेटिंग की समस्या को देखते हुए 19837 स्पेशल समर ट्रेन चलाई गई हैं। ये ट्रेनें जून और मई के महीने में चलाई गई थीं, जिससे 4 करोड़ से ज्यादा यात्रियों ने सफर किया है।

वेटिंग टिकट की समस्या से निपटने का प्लान

रेल मंत्री वैष्णव ने बताया कि वेटिंग टिकट की समस्या को पूरी तरह से खत्म करने के लिए 3 हजार और ट्रेनें बढ़ाने की जरूरत है। यह काम साल 2032 तक ही संभव हो पाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि साल 2014 से पहले प्रतिदिन 4 किलोमीटर पटरी बिछाई जाती थी, जबकि अब 2024 में यह संख्या बढ़कर 14 किलोमीटर प्रतिदिन हो गई है।

भारतीय रेलवे की क्रांति

भारतीय रेलवे ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी सेवाओं में कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। वंदे भारत ट्रेन की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय रेलवे विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम है। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का लॉन्च इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा।

रेलवे की विकास यात्रा

रेलवे की इस विकास यात्रा में कई चुनौतियां भी आईं हैं, लेकिन सरकार और रेलवे अधिकारियों ने मिलकर इन चुनौतियों का सामना किया है। नए प्रोजेक्ट्स की सफलता और कवच सिस्टम की सुरक्षा के साथ, भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

भविष्य की योजना

रेलवे के विकास की यह यात्रा अभी समाप्त नहीं हुई है। आगे भी कई नए प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, जिनमें हाई-स्पीड रेल, नई ट्रेनें और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं। इन सभी योजनाओं का उद्देश्य भारतीय रेलवे को दुनिया की सबसे बेहतर रेलवे सेवाओं में शामिल करना है।

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