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भारत का जेम्सबॉन्ड, जिसे इंदिरा गांधी ने दिया ‘ब्लैक टाइगर(Black Tiger)’ का खिताब

News Desk
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Black Tiger
फोटो :@REDDIT

Black Tiger of India: हॉलीवुड मूवीज में जेम्स बॉन्ड का नाम तो आप लोगों ने जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी भारत के जेम्सबॉन्ड का नाम सुना है,जिसके आगे एक समय पर पाकिस्तानी सेना तक नतमस्तक हो गई थी। जिसके कारनामें ऐसे कि क्या पाकिस्तान और क्या हिंदुस्तान, उसकी तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते। यहां तक की जिसके लिए खुद इंदिरा गांधी तक बोल उठी- इंडियन ब्लैक टाइगर….. भारत का वो जेम्सबॉन्ड जिसने असल जिंदगी में इतने जोखिम भरे काम किए जिसके आगे हॉलीवुड वाला जेम्स पानी कम चाय है लगने लगेगा. ऐसा शख्स जिसके आगे भारतीय खूफिया एजेंसियों रॉ और सीबीआई भी अंदरखाने तारीफों के कसीदें पढ़ती है और जिसकी पहचान भारत के सबसे बड़े जासूस के तौर पर होती है …… खैर, 007 को भूल जाइए, क्योंकि आज हम आपको भारत के उस जेम्सबॉन्ड के बारे में बताने वाले है जिसकी कहानी भारतीय इतिहास के पन्नों में कहीं दबकर रह गई…..

जेम्स बॉन्ड से भी खतरनाक Black Tiger (रवींद्र कौशिक) की अद्भुत कहानी

Black Tiger

कल्पना कीजिए कि एक साधारण सा थिएटर करने वाला कलाकार, अंडरकवर एजेंट बन जाए, और अमेरिका- रूस तनाव के दौरान पाकिस्तानी सेना में भर्ती होकर देखते ही देखते सेना की हाई ऑफीशियल रैंक का ऑफीसर बन जाए। ऐसा लगता है कि जैसे कोई हॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्म की स्क्रिप्ट है, है ना? लेकिन दोस्तों ये कोई फिल्म नहीं है – बल्कि एक ऐसे जीते जागते इंसान के जीवन की सच्चाई है जिसको सुनने के बाद आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।नाम था रवींद्र कौशिक, जिन्हें आज भी दबी छुपे शब्दों में ‘ब्लैक टाइगर’ के नाम से पुकारा जाता था। दरअसल इस ब्लैक टाइगर की कहानी कर्तव्य और धोखे, प्यार और वफादारी के बीच फंसी हुई है। जासूसी की दुनिया में जहां एक तरफ ये कहानी बलिदान के परम उत्कर्ष को दर्शाती है तो वहीं दूसरी ओर देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा की मिसाल है।

एक साधारण शुरुआत से लेकर भारतीय खुफिया एजेंसी में जासूस के रूप में भर्ती होने तक, उनकी कहानी किसी सिनेमाई चमत्कार से कम नहीं है। तो चलिए जानते है इस कहानी के बारे में….बात है राजस्थान के एक साधारण परिवार में जन्मे रवींद्र कौशिक की जिनके परिवार में उनके माता-पिता और एक भाई थे। कौशिक को बचपन से ही थिएटर का शौक थी। इसलिए कॉलेज के दिनों में उन्होंने थियेटर ज्वाइन कर लिया। एक बार जब वे थिएटर का मंचन कर रहे थे तो उस दौरान ऑडियंश में बैठे एक रॉ एजेंट की नजर रवींद्र पर पड़ी और वहीं से शुरू हुई उनके ‘भारत के सबसे बड़े जासूस’ बनने की कहानी।

थिएटर कलाकार से ‘Black Tiger’ बनने की रोमांचक यात्रा

थिएटर के दौरान उनकी एक्टिंग से रॉ एजेंट क्यों प्रभावित हुए यह कहानी भी काफी दिलचस्प है। दरअसल, मंचन के दौरान रवींद्र एक इंडियन आर्मी अफसर का रोल प्ले कर रहे थे, जिसमें वह चीनी सेना द्वारा पकड़े जाने और थर्ड डिग्री किए जाने के बाद भारत से जुड़ी अहम जानकारी देने से इनकार कर देते हैं। रॉ अधिकारी उनकी परफॉर्मेंस से काफी खुश हुए, और वहीं से उनके जासूस बनने की कहानी शुरू हुई।कौशिक के जीवन का सबसे अहम अध्याय तब सामने आया जब उन्हें देश के लिए जासूसी करने का काम सौंपा गया – ये शुरूआती काम किसी और के नहीं बल्कि खुद तत्कालीन भारत की तेज तर्रार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की निजी सुरक्षा में सेंध लगाकर घुसपैठ करने की थी।

पाकिस्तानी सेना में ‘नबी अहमद शाकिर’ बने भारतीय जेम्स बॉन्ड

रॉ से जुड़ने के बाद कौशिक को जासूसी से जुड़ी 2 साल की कड़ी ट्रेनिंग दी गई। जब साल 1975 में रवींद्र को पहली बार मिशन के लिए पाकिस्तान भेजा गया, तब उनका काम अंडरकवर रहकर पाकिस्तान से भारत को अहम जानकारी भेजने था। रॉ की तरफ से पाकिस्तान में रवींद्र को अपना नाम बदलकर ‘नबी अहमद शाकिर’ बनकर रहना था। पाकिस्तान पहुंचे नबी अहमद शाकिर ने धीरे धीरे वहां की अहम खूफियां जानकारी भारत को देनी शुरू की। जैसी जैसी जानकारी की इंस्ट्रक्शन रॉ की ओर नबी से मांगी जाती थी, नबी कैसे भी करके पाकिस्तान की खूफिया जानकारी भारत तक पहुंचाता था। अब आलम कुछ यूं था कि पाकिस्तान में अगर पत्ता भी खड़कता था तो भारत के पास पहले से उसकी जानकारी होती थी।

Black Tiger
फोटो: @THEECONOMICTIMES

इधर रॉ के सभी आला अधिकारी नबी के बेहतरीन काम से बेहद खुश थे और उधऱ पाकिस्तानाी सेना की खूफिया जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश में नबी ने खुद को पाकिस्तानी नागरिक के तौर पर औऱ मजबूत बनाने के लिए कराची की लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। अब शानदार नंबरों के साथ ग्रेजुएट की डिग्री औऱ पाकिस्तान की नागरिकता हांसिल करने के लिए ऑफीशियल डाक्यूमेंट दोनों ही नबी के हाथ में आ गई। इसके बाद क्या था नबी ने उसी साल निकली पाकिस्तानी सेना में कमीशन अफसर की भर्ती के लिए अप्लाई किया और सारे पड़ाव पार करते हुए नबी बन गए पाकिस्तानी सेना में कमीशन ऑफीशर। बाद में पाकिस्तानी सेना के आला अफसरों ने नबी के काम को देखते हुए मेजर जैसी हाई ऑफीशियल रैंक का अधिकारी बना दिया। जब ये बात भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पता चली तो वे रवींद्र के काम से इतनी प्रभावित हुई कि खुश होकर रवींद्र को ब्लैक टाइगर का टाइटल दिया।

पाकिस्तान में इस बीच नबी की जिंदगी में एक और अहम हिस्सा जुड़ा गया था। दरअसल नबी को पाकिस्तान की एक मुस्लिम लड़की से सच्चा प्यार हो गया था और नबी ने उस लड़की से शादी भी कर ली थी। जिससे एक साल के भीतर नबी के एक बेटी का पिता बन गया। साल 1979 से 1983 तक नबी ने पाकिस्तान से अहम जानकारियाँ भारत भेजीं, जिसकी वजह से रॉ को भारत की डिफेंस रणनीति को मजबूत करने में काफी मदद मिली। पाकिस्तान में इस दौरान नबी की जिंदगी अपनी पत्नी और बेटी के साथ बहुतअच्छे से गुजर रही थी। लेकिन शायद नबी की किस्मत को ये मंजूर न था।

साल था 1983 जब नबी की जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया जिसने उसकी पूरी जिंदगी को तहस नहस कर दिया। दरअसल साल 1983 में, भारतीय जासूस इनायत मसीहा, बॉर्डर क्रॉस करने के दौरान पाकिस्तानी सेना के हत्थे चढ़ गया। और जब पाकिस्तानी सेना ने उससे इंटेरोगेशन की तो उसने रवींद्र कौशिक का राज पाकिस्तानी सेना के सामने खोल दिया। जिसके बाद सेना ने तुरंत रवींद्र को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने रवींद्र को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार करके मुल्तान की जेल में डाल दिया।पाकिस्तान की निचली अदालतों ने रवींद्र कौशिक को फांसी की सजा सुनाई, लेकिन पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने रवींद्र की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। जेल में रवींद्र को पाकिस्तानी सेना की ओर से कई यातनाएं औऱ लालच दिए गए ताकि वो भारत की सारी कॉन्फीडेंशियल जानकारियां पाकिस्तानी सेना को बता दें लेकिन रवींद्र ने पाकिस्तानी सेना के सारे ऑफर्स को ठुकरा दिया और किसी भी हालत में भारत को दगा नहीं देने की बात कह दी। फिर क्या था दिन ब दिन पाकिस्तानी सेना के टार्चर नबी पर बढ़ते गए और उसकी हालत बद से बदतर होती गई। जेल में रहते हुए रवींद्र को टीबी जैसी कई गंभीर बीमारियां भी हुई जिसका उसे कोई इलाज नहीं मिला। जिसकी वजह से उसकी हालत और भी बिगड़ गई।साल 2001 में रवींद्र को दिल का दौरा पड़ा और पाकिस्तान की जेल में उसकी मौत हो गई। दरअसल रवींद्र ने पाकिस्तान की जेल में रहने के दौरान कुछ चिट्ठियां भारत में रह रहे अपने माता-पिता और भाई को लिखी थी। इन चिट्ठियों में रवींद्र की ओर से भारत सरकार से अपनी रिहाई के लिए कुछ करने के लिए कहा गया था। उन्हीं में से लिखी गई एक चिट्ठी को पढ़ते हुए रवींद्र के भाई ने बताया कि, “क्या भारत जैसे बड़े देश के लिए कुर्बानी देने वालों को यही मिलता है?” मालूम हो कि उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार ने कुछ नहीं किया, बस उन्हें उनके हाल पर यूं ही छोड़ दिया था।

रवींद्र कौशिक(Black Tiger): वो जासूस जिसकी वीरता के किस्से आज भी दिलों में जिंदा हैं

रवींद्र कौशिक की यह अद्वितीय और प्रेरणादायक कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि किसी देश के लिए बलिदान देने वाले नायकों को क्या सम्मान मिलना चाहिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि असली जासूस वे होते हैं जो अपनी पहचान और जीवन को दांव पर लगाकर देश की सुरक्षा के लिए लड़ते हैं।तो अगली बार जब आप किसी जासूस की कहानी सुनें, तो रवींद्र कौशिक की अद्वितीय कहानी को जरूर अपने जहन में रखें – भारतीय ‘ब्लैक टाइगर’, जिनका साहस और बलिदान कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।

भारत का खतरनाक जासूस जिसने पाकिस्तान में की आठ साल जासूसी,भारत सरकार ने ही दिया धोखा |dictator
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