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ईवीएम पर अविश्वास: करारी हार के बाद जगन मोहन रेड्डी EVM पर झल्लाए , बोले- बैलट से हों मतदान

News Desk
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ईवीएम पर अविश्वास: आंध्र के जगन मोहन रेड्डी का EVM पर आरोप, लोकतंत्र की सच्ची भावना को बचाने की पुकारईवीएम पर अविश्वास
ईवीएम पर अविश्वास

आंध्र प्रदेश। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करने के बाद, वाईएसआरसीपी के सुप्रीमो वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के उपयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। चुनाव परिणामों से निराश जगन मोहन रेड्डी ने जोर देकर कहा कि उन्नत लोकतंत्रों में मतदान के लिए पारंपरिक मतपत्रों का ही उपयोग होता है और यही व्यवस्था भारत में भी अपनाई जानी चाहिए।

जगन मोहन रेड्डी ने अपने विचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए। उन्होंने कहा, “दुनिया भर के उन्नत लोकतंत्रों में चुनाव ईवीएम के बजाय मतपत्रों के माध्यम से होते हैं। हमें भी अपने लोकतंत्र की सच्ची भावना को बनाए रखने के लिए इसी दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोकतंत्र को केवल कायम रखना ही नहीं, बल्कि उसे दिखना भी चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे न्याय केवल होना ही नहीं, बल्कि दिखना भी चाहिए।

आंध्र प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में वाईएसआरसीपी को केवल 11 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, जबकि लोकसभा चुनावों में पार्टी मात्र चार सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। इसके विपरीत, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने विधानसभा की 175 सीटों में से 164 पर जीत हासिल की और लोकसभा की 25 सीटों में से 21 सीटों पर कब्जा जमाया।

जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि यह परिणाम स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि जनता के मन में ईवीएम के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर वोट सही मायने में गिना जाए और हर मतदाता का विश्वास बरकरार रहे।”

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उन्होंने आगे कहा, “जब बैलट पेपर्स/मतपत्रों से वोटिंग कराई जाती है, तो इससे जनता का विश्वास बढ़ता है और उन्हें यह महसूस होता है कि उनके मत का महत्व है। ईवीएम में किसी प्रकार की तकनीकी खामियों या हेरफेर की संभावना बनी रहती है, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।”

जगन मोहन रेड्डी ने मतपत्रों की ओर वापस लौटने का सुझाव दिया और कहा कि इससे न केवल जनता का विश्वास बहाल होगा, बल्कि लोकतंत्र की नींव भी मजबूत होगी। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक को यह विश्वास हो कि उसका वोट महत्वपूर्ण है और उसका सही उपयोग किया जा रहा है। मतपत्रों का उपयोग करके ही हम इस विश्वास को पुनः स्थापित कर सकते हैं।”

इसके अतिरिक्त, जगन मोहन रेड्डी ने अन्य देशों के उदाहरण देते हुए कहा कि कई उन्नत लोकतंत्रों में भी मतपत्रों का उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा, “अगर अन्य देशों में यह संभव है, तो हमारे देश में भी यह संभव होना चाहिए। हमें अपने लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।”

आंध्र प्रदेश में चुनाव परिणामों के बाद जगन मोहन रेड्डी के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उनके इस कदम को कुछ लोग उनके असंतोष और हताशा का परिणाम मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे लोकतंत्र की सच्ची भावना की रक्षा के लिए एक सही दिशा में उठाया गया कदम मान रहे हैं।

मतपत्रों के उपयोग की मांग को लेकर उन्होंने आगे कहा कि यह केवल चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह जनता के विश्वास को बहाल करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, “हमारा लोकतंत्र तभी सशक्त बनेगा जब जनता का विश्वास पूरी तरह से चुनाव प्रक्रिया में बना रहेगा। और इसके लिए हमें मतपत्रों का उपयोग करना ही उचित रहेगा।”

इस प्रकार, वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मतपत्रों के उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की सच्ची भावना को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उनका यह बयान उन सभी के लिए एक पुकार है जो भारतीय लोकतंत्र को सशक्त और पारदर्शी बनाना चाहते हैं।

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