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18वीं लोकसभा: नए सांसदों का स्वरूप और बदलते राजनीतिक परिदृश्य

News Desk
5 Min Read
@amarujala
18वीं लोकसभा

देश की जनता ने 18वीं लोकसभा के लिए अपना जनादेश सुना दिया है। राजनीतिक दृष्टिकोण से परे, यदि इस लोकसभा के स्वरूप पर नजर डालें तो कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आते हैं:

विभिन्न पार्टियों का प्रतिनिधित्व

543 में से 536 सांसद 41 विभिन्न पार्टियों से संबंधित हैं, जबकि 7 निर्दलीय सांसद चुनकर आए हैं। शीर्ष 10 पार्टियों के खाते में 479 सांसद आए हैं, जबकि शेष 31 दलों के केवल 57 उम्मीदवार ही जीत सके हैं। इस बार 280 सांसद पहली बार संसद पहुंचे हैं, जबकि 116 दूसरी बार, 74 तीसरी बार, 35 चौथी बार, 19 पांचवीं बार, 10 छठी बार, 7 सातवीं बार और एक सांसद आठवीं बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं।

पहली बार और पुनः निर्वाचित सांसद

नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों में से 16 सदस्य पहले राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं, जबकि 262 पहले भी लोकसभा का हिस्सा रह चुके हैं। अर्थात्, 40% सांसद पुनः निर्वाचित हुए हैं। 2019 में 17वीं लोकसभा में 36 पार्टियों के प्रत्याशी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे।

राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दल

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@aajtak

इस बार 64% (346) सीटें राष्ट्रीय दर्जा रखने वाले दलों को मिली हैं, जबकि 33% (179) सीटें राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त दलों को मिली हैं। गैर-मान्यता प्राप्त दलों को केवल 11 सीटें मिली हैं। एक सांसद को दो सीटों पर जीत मिली है। नौ सदस्य ऐसे हैं जिन्होंने पार्टी बदलकर संसद पहुंचे हैं, जबकि आठ सदस्य अपनी पार्टी को तोड़कर नई पार्टी से सांसद बने हैं। भाजपा के 53 मंत्रियों ने चुनाव लड़ा, जिनमें से 35 ने जीत हासिल की और 18 हार गए।

शिक्षा और पेशेवर पृष्ठभूमि

78% सांसद स्नातक या उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। 5% को डॉक्टरेट की उपाधि मिली है। 17वीं लोकसभा में लगभग 27% सांसद कॉलेज नहीं गए थे, जबकि इस बार यह संख्या घटकर 22% हो गई है। 48% सांसद समाजसेवी, 37% किसान, 32% व्यापारी, 7% कानूनविद्, 4% चिकित्सक, 3% कलाकार, 3% शिक्षक और 2% सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हैं।

आठ बार लोकसभा में विजयी सदस्य

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से भाजपा सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक इस बार सबसे अनुभवी सदस्य हैं। वे लगातार आठवीं बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले इकलौते सांसद हैं। राज्य से लोकसभा के लिए सर्वाधिक बार चुने जाने का रिकॉर्ड कांग्रेसी नेता कमलनाथ का है, जो नौ बार चुने गए थे।

प्रमुख पार्टियों का प्रदर्शन

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@tv9bharatvarsh

सिर्फ सात पार्टियां ऐसी हैं जिनके 10 या उससे अधिक सांसद हैं। इन सात पार्टियों के हिस्से में 455 सांसद हैं, जबकि शेष 34 पार्टियों के हिस्से में 81 सीटें आई हैं। 17 पार्टियां ऐसी हैं जिनके सिर्फ एक-एक सदस्य ही चुनाव जीते हैं। शीर्ष 10 पार्टियों में भाजपा के 240, कांग्रेस के 99, समाजवादी पार्टी के 37, तृणमूल कांग्रेस के 29, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के 22, तेलुगू देशम पार्टी के 16, जनता दल यूनाइटेड के 12, शिवसेना-यूबीटी के 9, एनसीपी-एसपी के 8 और शिवसेना के 7 उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। इन दलों के 479 सदस्यों में से 204 विपक्षी गठबंधन इंडिया के हैं, जबकि 275 एनडीए के घटक दल हैं।

सांसदों की उम्र और महिला प्रतिनिधित्व

18वीं लोकसभा के सांसदों की औसत उम्र 56 वर्ष है, जबकि 2019 में यह 59 वर्ष थी। सपा के पुष्पेंद्र सरोज और प्रिया सरोज 25 वर्ष की उम्र में सबसे युवा सांसद हैं, जबकि द्रमुक के 82 वर्षीय टीआर बालू सबसे उम्रदराज हैं। केवल 11% सांसद 40 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं। 38% सांसद 41 से 55 वर्ष की आयु के हैं, और 52% सांसद 55 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। इस बार तीन सांसद 25 वर्ष की न्यूनतम आयु के हैं।

महिला सांसदों का प्रतिनिधित्व

लोकसभा चुनाव
@zeebusiness

इस बार चुनी गई 16% महिला सांसद 40 वर्ष से कम उम्र की हैं। 30 (41%) महिला सांसद फिर से लोकसभा के लिए चुनी गई हैं। इस बार 74 महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है, जबकि 2019 में यह संख्या 78 थी। महिला आरक्षण के हिसाब से 33% सीटें महिलाओं को मिलनी चाहिए, लेकिन फिलहाल केवल 14% सीटें ही महिलाओं को मिली हैं।

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