Ad image

Your sustainable eating habit can save the planet

अदिति शुक्ला
7 Min Read
pic credit: pexels

अच्छा खाओ,प्लैनेट बचाओ

क्या आप जानते हैं वर्ल्ड में वन थर्ड ग्रीन हाउस गैस एमिशन फूड से कनेक्टेड होता है. नेचर फूड नाम के जर्नल में पब्लिश एक रिर्पोट कहती है की फूड प्रोडक्शन के प्रॉसेस से भी एनवायरमेंट को इंपैक्ट पड़ता है. इसका सीधा मतलब यही है कि जो आप कंज्यूम करते है उसका इंपैक्ट आपकी हेल्थ के साथ साथ प्लैनेट की हेल्थ पर भी पड़ता है. अब अगर आप भी सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को फॉलो करते है या करने की सोच रहे हैं तो लाइफस्टाइल में Sustainable eating habit को ऐड करना न भूलें. सस्टेनेबल ईटिंग का मीनिंग है ऐसे फूड को कंज्यूम करना जिससे एनवायरनमेंट को असर ना पड़े साथ ही आपकी हेल्थ को भी बेनिफिट मिलते रहें.

अब आप ओवरनाईट एग्रीकल्चर सिस्टम के तो नहीं चेंज कर सकते है. लेकिन अपनी ईटिंग हैबिट्स में छोटे छोटे चेंजेज करके सस्टेनेबल ईटिंग को अपना सकते है. और इसकी चिंता नहीं करिए कि सस्टेनेबल ईटिंग से आपका बजट डगमगा जाएगा. घर पर भी सस्टेनेबल फूड को इंपेलमेंट किया जा सकता है.

Eat more plant based foods

sustainable eating habit
pic credit : pexels

Sustainable eating habit के लि अपनी डायट में plant based food को ऐड करके आप एनवायरनमेंट को कई तरह से बेनिफिट दे सकते है. प्लांट बेस्ड डायट का मतलब ये नहीं हैं की आप अपने रूटीन में  एग, फिश डेयरी प्रॉडक्ट नहीं ऐड कर सकते है. बस आपको डायट में ऐसी चीजे भी शमिल करनी होंगी जो कि मोस्टली प्लांट्स से आती हो जैसे फ्रूट्स,वेजीटेबल, नट, सीड, बींस,ग्रेन. इससे हेल्थ को तो फायदे मिलेंगे ही साथ में एनवायरमेंट को भी मिलेंगे।

प्लांट बेस्ड डायट कंज्यूम करने से ग्रीन हाउस गैस एमिशन को कम कर सकते है. मीट इंडस्ट्री फ्रूट और वेजीटेबल प्रोडक्शन से होने वाले पॉल्यूशन से टू टाइम ज्यादा रिस्पॉन्सिबल होती हैं. यानी कि प्लांट बेस्ड डायट कंज्यूम करके 49% पॉल्यूशन को कम किया जा सकता है. साथ ही एक स्टडी के अकॉर्डिंग एनिमल इनटेक को रिड्यूस करके ग्लोबल वॉटर यूज को 14% तक कम किया जा सकता है.

Eat seasonally

sustainable eating habbit
pic credit : pexels

चाहें आप रेस्टोरेंट में फूड ऑर्डर कर रहे हों या फ्रूट,वेजीटेबल खरीदने गए हो, सस्टेनेबल ईटिंग को बनाए रखने के लिए सीजनल उत्पादों को उपयोग करिए. अब ये तो आपने भी नोटिस किया होगा की समर टाइम में भी विंटर में होने वाली सब्जियां जैसे मटर, गाजर सुपरमार्केट में आसानी से मिल जाती है.अगर आपको अपोजिट सीजन में भी सब्जियां मिल रहीं हैं तो वो बिलकुल भी सस्टेनेबल नहीं हो सकती. या तो वो फॉरेन कंट्री से मंगवाई जाती है या फिर वो सस्टेनेबली ग्रो नहीं की जाती है. इसीलिए सीजनल फूड को चुनिए जैसे बाजरा,ज्वार,रागी ये क्रॉप एनवायरमेंट फ्रेंडली होती है. यानी की इनको ग्रो होने के लिए कोई स्पेशल टाइप की सॉइल नहीं लगती ये सारे कंडीशन में ग्रो हो जाते है और इनमें वॉटर भी बहुत कम कंज्यूम होता है.

Minimize wasting

pexels keegan evans 10986 105588
pic credit : pexels

फूड को सही तरह से स्टोर करने से लेकर Leftover Food(बचा हुआ भोजन) को कुक करने तक आप कई तरह के सिंपल हैक फॉलो कर सकते है सस्टेनेबल ईटिंग के लिए. क्या आप जानते है United Nations Investment Program(UNIP) के अनुसार इंडिया में 40% फूड प्रोड्यूस वेस्ट होता है. तो अब से आपको भी वेस्ट कम करने के लिए बचे हुए खाने को यूज में लाने की हैबिट बनानी होगी.जैसे एक रात पहले के बचे हुए राइस को नाश्ते में फ्राई करके सर्व किया जा सकता है , लेफ्टोवर रोटी से भी कई तरह के स्नैक बन सकते है बस आपको इंटरनेट में सर्च करने भर की देरी है.

https://www.unepfi.org/investment/investment

Compost food scraps

बचे हुऐ खाने को कंपोज करके भी आप लाइफस्टाइल में सस्टेनेबिल्टी ऐड कर सकते है. फूड स्क्रैप को कंपोज करके, बाद में उसे गार्डन फर्टिलाइजर की तरह भी यूज किया जा सकता है. इससे फूड वेस्ट भी रिड्यूस हो जाता है साथ में आपके प्लांट्स को भी न्यूट्रिएंट्स मिल जाता है और ये ग्रीन हाउस गैस एमिशन को भी रिड्यूस करता है.

फूड कंपोज केमिकल फर्टिलाइजर का बेस्ट ऑर्गेनिक ऑल्टरनेटिव है. बस आपको थोड़ी मेहनत करके इसे अपनी लाइफस्टाइल में ऐड करने की जरूरत है.

Try 100 mile diet

pexels nc farm bureau mark 2255935
pic credit : pexels

लोकल फूड को डायट में ऐड करने से कार्बन फुटप्रिंट को भी कम किया जा सकता है. 100 mile डायट का मतलब यही होता है कि 100 मील के अंदर की एरिया से फुड खरीदना. हर बार जरूरी नहीं की आप किसी सुपरमार्केट से ही सब्जियां लाए इसकी जगह आप लोकल “ठेलेवालो” से भी ले सकते है जो की डायरेक्ट फार्मर से फल और सब्जियां लाते है. इससे आपकी ट्रांसपोरेशन कॉस्ट भी रिड्यूस होगी और सस्टेनेबल ईटिंग की हैबिट भी बनेगी.

Sustainable food packaging

फूड को पैक करने के लिए या स्टोर करने के लिए आप रियूजेबल पैकेजिंग को अपनाइए. एक स्टडी के अकॉर्डिंग सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह रियूजेबल पैकेजिंग जैसे स्टील के कंटेनर्स, जूट ग्रॉसरी बैग्स को यूज करके 63% कॉर्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है. तो अब से कहीं पिकनिक में जा रहे हो या किसी के लिए खाना पैक करके ले जा रहे हो सस्टेनेबल पैकेजिंग का हो इस्तेमाल करिए.

https://thenewsbrk.com/vitamin-d

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version