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“ईरान के राष्ट्रपति Raisi का हेलीकॉप्टर crash, उपराष्ट्रपति के नियुक्ति की उम्मीद”

रिया शाह
6 Min Read

रविवार (19 मई) को ईरान के राष्ट्रपति Ebrahim Raisi और Foreign minister हुसैन आमिर अब्दुल्लाहियान हेलीकॉप्टर क्रैश में मारे गए ।उनके साथ और भी 7 लोगों के मरने की खबर है। यह दुर्घटना पूर्वी अज़रबैजान क्षेत्र के पास Varghazan के पास हुआ। फिलहाल पहले उपराष्ट्रपति मोहम्मद मुखबिर फिलहाल के लिए राष्ट्रपति का पद संभाल रहे हैं।

वह (Ebrahim Raisi) बिल्कुल अयातुल्लाह अली खामनेई की तरह रहते थे।वह हमेशा एक काली पगड़ी बं\धे रहते थे। यह दिखाता है कि वह पैगंबर मोहम्मद के Follower थे। नवंबर 2021 में राष्ट्रपति बनने से पहले वह ईरान के मुख्य न्यायाधीश थे। वह खामनेई के बहुत खास थे।

His life at a glance

| 1960 | Birth year |
| 1979 | Participated in Islamic revolution |
| 1988 | Deputy prosecutor of Death Committee |
| 2004 | First deputy chief justice |
| 2014 | Attorney general of Iran |
| 2016-2021 | President of Iran |
| 2024 (May 19) | Death |

Raisi’s early life(रईसी का शुरुआती जीवन)

1960 में ईरान के एक छोटे गांव में रईसी का जन्म हुआ था। यह गांव मश्हद के पास था। इसे कुरान में पवित्र स्थान का दर्जा मिला है। उन्होंने अपने education को कुऑम(Qom seminary) मदरसे से पूरी की थी ।1979 के इस्लामी क्रांति में शाह शासन के खिलाफ विद्रोह चल रहा था। दूसरे मदरसे के स्टूडेंट ,उदारवादियों और लेफ्ट विंग एक्टिविस्ट की तरह उन्होंने भी इस क्रांति में भाग लिया। पहलवी वंशज के जाने के बाद ईरान एक इस्लामी जम्हूरियत (गणतंत्र) बन गया।

Raisi’s career(रईसी का करियर)

रईसी ने अपना न्यायिक करियर एक वकील के तौर पर शुरू किया। यह कदम उन्होंने करज शहर से उठाया। 1985 में वह राजधानी तेहरान चले गए। वहां पर वह डिप्टी प्रॉसिक्यूटर के तौर पर कार्य कर रहे थे। इसी समय अयातुल्लाह रोहुल्ला खामनेई की नज़र पड़ी। खामनेई इस्लामिक रिपब्लिक पार्टी के संस्थापक थे ।

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इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान की महिलाएं source:-Pinterest

1980 से 88 तक ईरान इराक का युद्ध चला । इस युद्ध के बाद खान ने एक खुफिया फतवा जारी किया।इसमें आदेश दिया कि हजारों राजनीतिक बंधिया को फांसी पर लटका दो। यह कमेटी डेथ कमेटी(Death commitee) कहलाई। इस कमीशन में चार सदस्य। सैयद इब्राहिम रहीसी भी इनमें से एक थे।इस कमेटी के हेड रूहुल्ला खामनेई थे। इन सदस्यों का काम था इस आदेश को लागू करना। वह हमेशा से ही विश्वासी रहे थे । रईसी ने कई और न्यायिक पद भी संभाले।
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Raisi had to face consequences (रईसी को करना पड़ा कई परिस्थितियों का सामना)

खामनेई ने उन्हें Astan -e- Quds-e-Razavi (इमाम रज़ा चैरिटी फाउंडेशन ) का बिजनेस मैनेज करने के लिए रखा। जब उन्हें इस पद पर रखा गया तब खामनेई ने उनकी तारीफ की। वह बोले- “इब्राहिम में काबिलियत के साथ-साथ विश्वसनीयता भी है। उनका स्टेटमेंट सबको चौंकाने वाला था। कभी भी खान किसी की प्रशंसा नहीं करते थे। रईसी ईरान के राष्ट्रपति बड़ी विकट परिस्थिति में बने। उस समय देश पर इकोनामिक सैंक्शंस लगे हुए थे। इसके बाद मेहसा अमीनी(22वर्षीय) की मौत हो गई। यह मौत ईरान के कड़े हिजाब पहनने के नियमों के कारण हुई। ऐसे में पूरे देश में बड़ी संख्या में लोगों के विद्रोह का सामना करना पड़ा। 2019 में IAEA ईरान से सैंक्शंस हटाने को तैयार हो गया। लेकिन 2021 में से पीछे हट गया।

his diplomatic strategy (उनकी कूटनीतिक रणनीति)

राष्ट्रपति
source:-WSJ

राष्ट्रपति रहते हुए Ebrahim Raisi ने रूस के साथ हथियारों का सौदा किया। साथी चीन के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को और भी मजबूत किया । इस तरह से उन्होंने न्यूक्लियर प्रोग्राम को एक कदम और आगे बढ़ाया। ताकतवर होने के बाद ईरान ने अप्रैल 2024 में इसराइल पर पहली बार मिसाइल दागा। साथ ही ड्रोन अटैक भी किया। उनके कार्यकाल में कूटनीति को नई उड़ान मिली।

अन्य लीडर्स और राष्ट्रपति ने जताया शोक

पुतिन ने टेलीग्राम पर कहा कि सैयद इब्राहिम एक बेजोङ और कुशल राजनेता थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपनी मातृभूमि को समर्पित कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम इस दुर्घटना से आश्चर्यचकित हैं। हमें शोक है कि डॉ. सैयद इब्राहिम रईसी की मौत हो गई। उन्होंने भारत-ईरान के द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के लिए योगदान दिया। भारत, ईरान के साथ ऐसी दुखद परिस्थिति में भी साथ है।


7 अक्टूबर से हमास- इजरायल युद्ध शुरू हुआ है। ईरान ने अपने कुछ सीनियर मिलिट्री नेताओं को खो दिया। ऐसा पहली बार हुआ कि किसी दुर्घटना में ईरान ने अपना राष्ट्रपति खो दिया है। फिलहाल अभी भी जांच जारी है। ईरान के मोहम्मद मुखबिर आंतरिक शक्तियों को संभालेंगे । देश में 50 दिनों के अंदर राष्ट्रपति चुनाव आयोजित होने की आशंका है। फिर भी रईसी जैसे क्रांति के सैनिक को बुला पाना ईरान के लिए मुश्किल होग

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