Ad image

पंचायत सीजन 3: चटपटे किरदार और कॉमेडी की ओवरडोज के साथ फुलेरा गांव की दिलचस्प कहानी प्राइम वीडियो पर वापस

News Desk
5 Min Read
@PRABHATKHABAR
pacayata 1692704313

फुलेरा गांव की सादगी में लिपटी कहानी एक बार फिर चटपटे किरदारों के साथ प्राइम वीडियो पर लौट आई है। देश में जहां लोकसभा चुनाव का माहौल गर्म है, वहीं फुलेरा गांव में भी पंचायती चुनाव की तैयारी जोरों पर है। चुनाव चाहे देश का हो या ग्राम पंचायत का, हर कोई जीतने के लिए हर मुमकिन रास्ता अपनाता है।

फुलेरा में सियासत की गर्माहट साफ नजर आ रही है। सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर या किसी विवाद को हवा देकर, हर कोई अपनी जीत की ओर बढ़ने की कोशिश में है। चुनावी फैसले अक्सर विवादों में उलझ जाते हैं, और फुलेरा इस समय दो हिस्सों में बंटा हुआ है – पूरब और पश्चिम।

सियासी बिसात के एक छोर पर मौजूदा पंचायत पदाधिकारी हैं, तो दूसरे छोर पर प्रधान बनने के तलबगार, जिन्हें स्थानीय विधायक का समर्थन प्राप्त है। इनके बीच फंसे हैं पंचायत सचिव जी, जो IIM में एडमिशन लेकर फुलेरा से निकलना चाहते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है, क्या फुलेरा उन्हें इतनी आसानी से जाने देगा?

TVF की सीरीज ‘पंचायत’ का तीसरा सीजन मुख्य रूप से प्रधानी चुनाव के शह-मात के खेल पर आधारित है। अंतिम एपिसोड में चौंकाने वाले घटनाक्रम के जरिए किरदारों के अलग-अलग रंग पेश किए जाते हैं और चौथे सीजन की भी पुष्टि होती है।

पंचायत सीजन 3 की कहानी

पंचायत की कथाभूमि बलिया जिले के फकौली विकास खंड का गांव फुलेरा है। बाहुबली विधायक चंद्र किशोर सिंह के प्रयासों के चलते सचिव अभिषेक त्रिपाठी का ट्रांसफर हो जाता है। लेकिन प्रधान और अन्य साथी नए सचिव को ज्वाइन नहीं करने देते ताकि अभिषेक की वापसी फुलेरा में हो सके। इस बीच हत्या के एक पुराने केस में विधायक को जेल हो जाती है और उनकी विधायकी खत्म हो जाती है।

Read More:जेल में डीएम, एसपी जाते थे बैडमिंटन खेलने,पूरी जेल करती थी तीमारदारी, फिर योगी ने ऐसे काटा माफियाओं के सरगना का टिकट

विधायक के जेल जाते ही अभिषेक का तबादला रद्द हो जाता है और वह गांव लौट आता है, मगर इस बार एमबीए एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए किताबों के साथ। गांव में प्रधानमंत्री गरीब आवास योजना के तहत लाभार्थियों की लिस्ट जारी होती है, जो विवाद में फंस जाती है।

अपनी पत्नी को प्रधान बनाने का सपना देख रहे भूषण शर्मा इस मौके का फायदा उठाता है। जमानत पर छूटने के बाद वह विधायक के पास शांति समझौते का प्रस्ताव लेकर जाता है। भूषण की राजनीति काफी हद तक सफल हो जाती है, मगर फिर कुछ ऐसा होता है कि उसे मुंह की खानी पड़ती है।

कैसा है तीसरे सीजन का स्क्रीनप्ले?

पंचायत सीजन3
फोटो: @NDTV

तीसरे सीजन की कहानी को तीस से चालीस मिनट की अवधि के आठ एपिसोड्स में फैलाया गया है। कुछ घटनाक्रमों को छोड़ दें तो शो के लेखन में पहले जैसा ह्यूमर अंडरकरेंट है, जो हालात से पैदा होता है। किरदारों की प्रतिक्रियाओं से भी हास्य आता है।

Read More:भारत का जेम्सबॉन्ड, जिसे इंदिरा गांधी ने दिया ‘ब्लैक टाइगर(Black Tiger)’ का खिताब

शुरुआत नए सचिव के आने से होती है। जिस तरह ग्राम प्रधान के पति बृज भूषण दुबे और सहायक विकास उसकी ज्वाइनिंग रोकते हैं, वे दृश्य मजेदार हैं। प्रधानमंत्री गरीब आवास योजना के तहत मकान के लिए वृद्ध अम्माजी की ललक और पोते से अलग होकर रहने का स्वांग हंसाता है तो इमोशनल भी करता है। मकानों की बंदरबांट को भूषण शर्मा जिस तरह से मुद्दा बनाता है, वह दिलचस्प है।

फुलेरा गांव की इस कहानी में हंसी-ठिठोली के साथ सियासी चालें और संघर्ष की दिलचस्प झलकियां हैं। ‘पंचायत’ का तीसरा सीजन न सिर्फ दर्शकों को गुदगुदाएगा, बल्कि उन्हें अगले सीजन का इंतजार करने पर भी मजबूर करेगा।


‘पंचायत सीजन 3’ का ट्रेलर

Panchayat Season 3 - Official Trailer | Jitendra Kumar, Neena Gupta, Raghubir Yadav | May 28

Share This Article
Follow:
Welcome to The News Break! हम दुनिया भर से नवीनतम सुर्खियों, ब्रेकिंग न्यूज और गहन विश्लेषण के लिए आपके जाने-माने स्रोत हैं। हमारा मिशन आपको सबसे महत्वपूर्ण कहानियों से अवगत, संलग्न और जुड़े रखना है।
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version