आज संपूर्ण विश्व श्री अन्न (millets) को अपना रहा है । जहाँ एक ओर आज विश्व अस्थिर है, ऐसे में अन्न का संकट उभरना लाज़मी है।बजट 2023 में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोटे अनाज (millets) को ‘श्री अन्न’ योजना के रूप में घोषित किया, ताकि इसका उपयोग अधिक से अधिक हो। ‘श्री’ का अर्थ होता है ‘लक्ष्मी’ (धन)अर्थात् ऐसा अनाज जो धन से परिपूर्ण हो। यहां ध्यान देने वाली मुख्य बात यह है कि धन का अर्थ पैसों से नहीं है बल्कि पोषक तत्वों से हैं। यह पोषक तत्व हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक होता है।
मोटा अनाज यानी मिलेट्स। जब भी मैं अपने ननिहाल जाती थी वहां खेतों में अवश्य घूमती थी। खेतों में खड़े वह हरे भरे तथा लहराते फसल मन को आनंद प्रदान करते हैं। रागी को देखकर तो यह लगता है कि यह छोटे-छोटे दानों से मिलकर बने फूलों के गुलदस्ते हैं।
श्री अन्न को मिला अंतरराष्ट्रीय दर्जा
भारत सरकार के प्रयासों द्वारा ही संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को “अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष”(International Millets Year) के रूप में घोषित किया था । मोटे अनाज(श्रीअन्न )जैसे बाजरा, रागी ,कुटकी, कंगनी और सांवा को यदि हम अपने भोजन में शामिल करें, तो इसके कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
श्री अन्न के फायदे
इसका पहला लाभ तो यह है कि यह पोषक तत्वों से परिपूर्ण है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर ,कार्बोहाइड्रेट तथा अन्य मिनरल्स हैं।
- एक तरफ रागी जहां कैल्शियम से तो वहीं बाजरा, कुटकी फाइबर से युक्त हैं। मोटे अनाज पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में भी सहायक होते हैं।
- दूसरा लाभ यह है कि जब किसान इन अनाजों की खेती करता है तो उसे दोगुना लाभ मिलता है।
वैश्विक स्थिति को ध्यान में रखा जाए तो रूस यूक्रेन युद्ध से खाद्य संकट पैदा हुआ था। इस युद्ध से गेहूं के आयात पर जो खतरा पैदा हुआ था, उसे इसके द्वारा दूर किया जा सकता है। प्राचीन समय में मानव गेहूं की रोटियां तब खाता था जब उसके घर कोई अतिथि या मेहमान आते थे। मेरी मां मुझे बताती है कि जब कभी उनके घर में रिश्तेदार या मेहमान आते थे तो उनकी खातिरदारी में गेहूं की रोटियां सेंकती थी। अन्यथा सामान्य दिनों में वह बाजरा या मक्के की रोटीयों को हाथों से बना कर सेंकती थी।